बिफे अगहन २० , २० मंसिर २०८१, बिहीबार| थारु संम्बत:२६४७

मरुवाक बाइस देउता

मरुवाक बाइस देउता

पच्छिउक सब थारु गाउ“मे मरुवा बनाइल रहथ । उ मरुवामे प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष २२ देउता रहथै । यहा“ यी देउतानके समान्य चर्चा कैगिल बा ।


१) डहरचण्डी
यी रजावर मरुवामे पूजजीना मनसे सबसे बरुवार देवी होइ । डहरचण्डी ओ द्रोपती दिदी बहिनीया होइ कना विश्वास करजाईथ । पूजा शुरुमे यीहे देवीक आगे पहिले धुपबत्ती सुल्गाके करजाइथ । पूजा करेबेर ‘भूइखैलो भूहहार, जिमरैलो जिमदार, राजखैलो रजावर, सर्व डाहिन रहो डहरचण्डी’ अस्ते मन्त्र जप जाइथ । सक्कु देवी देउतानहे पूजापाठ करके सेकके अन्तिममे ‘झुलक पुलक माफ करहो रि गुनी’ कहिके फेन यीहे देवीक आगे छा“की चरहाजाइथ । यी दुनु दिदी बहिनीयाक चिन्हाक रुपमे काठुवाक पत्ती गारल रहथ ।


२) झुठ्रु मसान
देउतानहे मनाइ नाई सेक्लेसे उहे देउता बिगार कर्ना भूत हुइजइथै । झुठ्रु मसान भूत जैसिन लग्लेसे फेन यी प्रगन्ना ठाउ“क रखुइया देउता होइ । यनहे वान धूप चरहाजाइथ । देउखुरीमे दुमदुम भवानी थन्वामे वानधूप चरहाके सेकके पाछे जोगिया प्रगन्ना भरिक गाउ“क मनै अपन–अपन गाउ“क मरुवामे वानधूप चरहाइ लग्थै । यनिहिनके चिन्हाक रुपमे फेन काठुवाक पत्ती गारल रहथ ।


३) मरहा मसान
यनके चिन्हाक रुपमे काठ्वाक मुंग्रा अकारके पत्ती गारगील वरसे यीहिन मुरहा मसान कहगिल हो । यनके काम जतना भूतप्रेत बातै, सकुहुनहे अपन शीरासनमे धर्ना हो । तबमारे किहिनो जिनिस, सामान चोरगैल कलेसे, सिमानाक भूतप्रेत, बोक्सीन्यान वैने दुःख देलेसे वैनके नाउसे मरहा मसानके मुरीमे किला ठोक जाइथ । मरुवामे किला ठोकल मुरहा मसानके कठ्वाक चिन्हा अपनेआप चिन्ह्जाइथ । पूजाक रुपमे यीहीनहे रकत, छा“की, दूध, जल चरहाजाइथ ।


४) बहिरा रक्सा
यी देउता मरुवाक पच्छिउवर दक्खिन कोन्वा वर बनाइल रहथ । बहिरा रक्साक चिन्हा रुपमे थाेंह्र अकारके ढुंगा गारल रहथ । मनै हेराइल, वन्वामे चरे गईल गाई बछ्रु हेराइल रलेसे यनके पूजा करलेसे घरे आइजथै, वइसिन नाइहुइलेसे हलहिल फेला परथै । लावा दुलही भागके नाइजइहि कना विचारसे फेन दुलही गाउ“मे भिœयाइना से आघे बहिरा सक्साहे सुवर कि तो मुर्गा चरहाजाइथ । आउर गाउ“से किनल गोरु नाइहेराइही कहिके अपन गाउ“ नानेबेर फेन मुर्गा चरहाजाइथ ।


५) जगन्नठिया ः
चिडी गेंगा, पटनहिया ओ जगन्नठिया करके एने तीन भाइ बातै । एनहे मरुवाक दखिन ठाउ“ देहल रहथ । यनके काम देउखुरी उपत्यका हुइल ६ थो प्रगन्ना अर्थात् १४ कोश ठाउ“के रक्षा करना हो । यनके कौनो चिन्हा मने नाइरहथ ।


६) भेंरवा ः
भेरवा देउताहे ढोंरी खम्बा फेन कहिजाइथ । सक्कु देउतानहे मिलाके अपनहे सक्हुनके बीच्चेमे आसन जमाइल वरसे ढुरखम्बा कहगिल हो । तबेमारे यीहिनहे देउतानके संयोजक फेन कहथै । कौनो देवीदेवतानहे आउरजे नाई बहकाइ कहिके यनके रेखदेख हुइथ ।


७) पा“चो पाण्डो
महाभारतके पा“च पाण्डव नै पा“चो पाण्डो होइ । मरुवाक पूरुव वर पा“च था अशिद्धा रुखवाक कीलाक प्रतिकके रुपमे येने ठाउ“ पाइल रथै । यनके फेन अपन ठाउ“ रक्ष्ाँ करथै कना विश्वास बा । पूजाक रुपमे दूध, जल, लवाङ्, घिउमे पकाइल लुचुई (एक प्रकारके रोती) चरहाजाइथ ।


८) पूर्वी भवानी ः
यी देउता मरुवाके उत्तर पूरुवके कोनुवामे धरल जाइथ । यनके कौनो पहिचान नाई रहथ । पूरुव ओरसे कौनो रोग, खा“ज आइलेसे रोकथै कना विश्वास कर जाइथ । यने फे पा“च पाण्डव जैसिन रकत, छा“की खादैनन् ।


९) दनुवा ः
यी देउता मरुवाक पच्छिउ उत्तर कोनुवामे रहथै । यनके काम अपने मंदरा बोजाके डहरचण्डीहे नचाइना हो । तब मारे यनहे हरेरी पूजामे काठ्वाक मंदरा व चप्पल बनाके चरहाजाइथ ।
१०) बाघेश्वरी ः
यनके काम गोइ डांगरके रक्षा करना हो । जंगली जानबरके चंगुलसे घरका जनावरहे रक्षा करना यनके जिम्मेवारी रहथ । बाघेश्वरीके कौनो चिन्हा नै रहथ, तर यनके ठाउ“मे माटीक बाघुवा व एकथो अण्डा भांठजाइथ । यने दहरचण्डी व दनुवाके बीच्चेमे बैठ्थै ।


११) गवरिया ः
यी देउता मरुवासे बाहेर खेतुवामे रहथै । यनके नाउसे मरुवामे खेभल्टा पारके पूजजाइथ । यनके चिन्हा खेतुवाके डुम्ना मे काठूवाक पट्टी रहथ । कीरानसे बालीनालीक रक्षा, खा“ज रोकेक लग यने भूमिका खेल्थै कना विश्वास कर जाइथ ।

१२) कोटिया ः
यने मरुवासे बाहेर गाउ“के दक्खिन वर रहथै । गवरिया देउता हस मरुवाक पश्चिममे खोभल्टा पारके ठाउ“ देहल रहथ । यनके काम दक्खिन वरसे आइना रोगव्याधी से गाउ“क मनैनके रक्षा कर्ना हो ।


१३) करैयाकोट ः
कोट्वाहे अउरे अर्थमे वनुवा फे कहिजाइथ । करैयाकोटके भावार्थ घन वनुवा हुइथ । तबे मारे यनहे पहारके देउता मानजाइथ । तर यनहे पहारमे नाइ पूजके मरुवाक पच्छिउ वर खोभल्टा बनाके ठाउ“ बनाइल रहथ । यने बीच्चे बीच्चेमे अपन लग्घेक अपनमनैन भेटघाट करे देउखुरी उपत्यका मे झरथै कना कहाइ रहल बा । खास करके थारु वैनके सामुहिक दुमदुम भवानी, देउथान, घोरडगरिया, कोटिया, वकुलिया व भगतभार मे यनके सहिया गोहिया बातै । काम खास करके वनवामे गइल बेर बेराम हुके आइलबेर करैयाकोटके भूत लागल कहिजाइथ ।


१४) बडेलवा ः
यी देउता भोजमे आगीपानीक ख्याल करथै । संगे, तेल रोती अउर खाना पकाइबेर खैनान्के स्वास्थ्यमे असर नाकरे कहिके यनहे पूजेबेर गुरुवानके तेल साजथै । अतना किल नाइ हो, लावा दुलहीहे कौनो दुःख नाइहुइस कहिके गाउ“ भिœयाइति किल दुलहाक घरेमे फेन नाइलैजाके मरुवा घुमाके लइजइथै । डोला बोकुइयान् यन्के नाउ“ लेती जोडी सही सलामत धरना पहिले छावा देहो कहिके भाकल समेल करथै ।


१५) कुइया पानी ः
यी देउता गाउ“क कुंवा, लदीया घाटमे रहथै । तबेमारे यन्हे कुइया पानी संगे घटुरीया फेन कहजाइथ । येने खाइना पानी सफा राख्थै व बेराम हुइ नाइ देथै कना कहाई बा । यनहे फेन देउताक रुपमे पूज जाइथ । होलीके अवसरमे कुवा, पनघटुवा सफा गाउ“क मनैनसे सरसफार्ई करजाइथ ।
कथम्कदाचित गुरुवान् पूजा करे बिसरलबेर यीहे देउता नै भूत बनके दुःख देथै । गन्तीक संख्यासे हेर्बी तो १५ देउता देखाइथै तब फेन डहरचण्डी व द«ोपतीके अलगे–अलगे थान व पा“च पाण्डव व जगरनठियाक तीन भाई करके २२ ठा“उमे दीया बत्ती बारना हुइलेक वरसे २२ देउता मान जइथै । कहु“ यी २२ थो देउतान्हे अलगे–अलगे ताल सुनाइलतो नाई हो ? प्रश्न अनुसन्धानिय वा ।

– थारु गुरुवा र मन्त्र ज्ञान

कृष्णराज सर्वहारी


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