शनिच्चर बैशाख १५ , १५ बैशाख २०८१, शनिबार| थारु संम्बत:२६४७

थारु महिलन्हे अधिकार खै ?

थारु महिलन्हे अधिकार खै ?

इन्दु थारु
मै सुवर पल्ठुँ । ओकर मोलमोलाइ करना अधिकार नैहो । मुर्गी फेन पल्ठँु । मने उ छोट जीव बेच्ना अधिकार महिन नैहो । घरेक सबकाम भात पकैना, भाँरा ढोइना, लिपपोट करना, सबके लुग्रा ढोइना लगायत सबके सब काम मै करठुँ मने घरके कौनो फेन निर्णय प्रक्रियामे मै अदृश्य रठुँ ।
निर्णय लेनामे अपन शरीर उप्पर मोर स्वायत्तता नैहो । प्रजननके निरन्तरता या नियन्त्रणके छनौट करना महिन छुट नैहो । मोर प्रजनन अधिकार हम्रे बैठ्ना सामाजिक नियम, हमार समुदाय, हमार परिवारके अधिनमे रहठ् ।
टब फेन ढेर अनुसन्धान बोलठ् थारु महिलाहुक्रे ढेर बाटमे स्वतन्त्र बटैं । कथित उच्चजातीय छेत्री बाहुन महिलासंगके तुलनात्मक अध्ययन अइसिन निष्कर्षमे पुगे सेकठ् फेन । जोन पूर्ण सत्य नैहो । थारु महिलाके स्वतन्त्रताके कुछ आंशिक यथार्थ पक्के बा । जस्टे महिला मासिकश्राव हुइल बेला हिन्दु संस्कारमे जस्टे थारु समुदायमे बर्ना चलन नैहो । महिनावारी हुइना ओ नैहुइनासे थारु महिलाके दैनिकीमे कुछ फेन भिन्नता नैरहठ् । महिनावारी हुइल बेला छुए मिल्ना ओ छुए नैमिल्ना, भित्तर बाहेर करना जस्टे कुछ व्यवहार वा व्यवस्था नैहो ।
थारु समुदायमे विधवा विवाहहे सहज रुपमे लेजाइठ । जिहिनहे थारु भाषामे राँर भोज कहिजाइठ । गोसियाके मौतके बाद हिन्दु महिला जस्टे जीवनपरन्त उज्जर कपडा लगाइ पर्ना सामाजिक सांस्कृतिक व्यवस्था नैहो । मने गोसियक् नाउँमे घल्ना चुरिया टिक्ली भर वर्जित बा ।
थारु समुदायमे गोसियक् मोतके बाद गोसियक् भैया (डेवर) संग परिवार विधवा महिलाके विवाह कराडेना चलन रहे । मोर आजा बिटलके बाद मोर आजीके विवाह उहाँके देवरसंग कराडेहल रहे । मोर आजी अपन डेवर से भारी रहि ।
थारु समुदायमे भोंर पैठ्ना चलन बा । यी चलन अन्सार थारु महिला अपन मन पराइल पुरुष अपन घरमे भित्रैइठैं । विशेष कैके गोसियाके मोत होसेकल एकल महिला गोसिनियँक् मोत होसेकल एकल पुरुषहे अपन गोसियक् रुपमे भित्रैइठैं । उ पुरुषके छावाछाइ रलेसे उ बालबच्चा फेन अपनैना चलन बा । कौनो अवस्थामे अइसिन भित्र्याइल गोसिया अविवाहित फेन हुइसेक्ठैं । यी चलन दुर्लभ बा ।
थारु समुदायमे अइसिन कुछ चलन रलेसेफे थारु महिला स्वतन्त्र बा कना निष्कर्षमे पुग्ना जायज नैरहठ् । ऐतिहासिकतासे असमानता भोग्टी आइल थारु महिलाउप्पर न्याय करटी अइसिन विष्लेषणसे । निष्कर्षमे पुग्ना पूर्व थारु महिलनके भोगाइसंग निकटके सम्बन्ध रहेपरठ् ।
मै मोर आजी, बुडी, डाइहे सुन्टी ओ डेख्टी आइल बटँु । मोर अपन फेन भोगाइ बा । मोर सुनाइ, डेखाइ ओ भोगाइके अनुभवमे थारु महिला कत्रा दलनमे रहे ओ बा कना यथार्थ गवाही हुइँट् । कना टे कहिजाइठ, आदिवासी समाज मातृसत्तामे निर्मित हुइठ । यी एकडम प्राचिन बाट हुइल ओरसे हुइ, आझके थारु महिलाके अनुभव मातृसत्तासे एकडम फरक बा ।
मोर आजी जवान रहिंट टब्बही मोर आजा बिट्लैं । आजीके भोज उहाँके देवरसंग हुइल । महिन नैलागठ कोइ फेन मोर आजीके चाहना बुझल हुइ, उहाँहे लवन्डा मन परल बा नैहो कहिके । कैयौं विधवा महिलाके भोन डेवरसंग होके, महिलाके उमेर देवरसे एकडम भारी रहिंट । कैयौं विधवा महिलाके भोज १०÷१२ वर्षके बच्चासंग कराजाए । एक परिपक्व महिलाहे भोज वा डोसर भोज करेबेर लवन्डा छन्ना स्वतन्त्रता नैरहे ।
कृषि प्रणालीमे बचल समाज घरायसी ओ खेतीपाती सम्हाँरेक् लाग किल पटोहिया भिट्र्याइना चलन रहे । अपन जीवनसंघरिया अपनसे छनौट करना अधिकारहे परिवार ओ समाज अस्विकार करे । भोंर पैठ्ना चलन सतही रुपमे सुन्के पितृसत्ताहे का चुनौती डेहे जस्टे लागठ । महिला पुरुषहे भित्र्याइना बाट पुरुष महिलाहे घरमे भित्र्याइल जस्टे सहज नैहुइठ् । यी दुईमे आकाश पटालके फरक बा ।
भित्र्याइबेर घरभित्तर करना संस्कार करेबेर घरके सब झ्यालढोका थुनेपरठ् । गाउँके मनंै पुरुष भित्र्याइना घरहे घेरा डारजाइठ । लौंरा सुसज्जित गाँउक् मनैं उ घरके भित्ता ओ छानामे ठठैठैं । घरमे नोक्शान पुगैठैं ।
जबकि छाइ मनैन्हे भोज कैके भित्र्याके गाँउभरिकहे बलाके भोज खवइठैं । पुरुषहे भित्र्याइबेर घरमे क्षति पुगजाइठ । उ पुरुष ओ ओकर सन्तानहे बचटसम हेयके दृष्टिसे हेरजाइठ ।
मोर बुडिकके पालामे भर्खर किल कुछ स्कूल खुलल् रहे । औरेक घर जैना जात कहिके बुडिहे स्कूल नैपठैलैं । बुडु भर प्राथमिक तहसम पह्रे पैलैं । मोर डाइक् समयमे फेन छाइ घरके काममे सघाइ परठ कहटी स्कूल जाइ नैडेलैं । मोर बाबा क्याम्सप लेबलसमके पह्राइ करलैं मने ओहे घरमे हुर्कल मोर फुइभर स्कूल जाइ नैपैली । एक फुइहे औरेक घरमे काम करना (कम्लरही बने) पठागेल । फेन यि टे पारिवारिक बाट हुइ । मने यी केवल एक परिवारके सत्य कथा नैहो । समाजके वास्तविकता हो यी ।
घरबाहेर हेरलेसे थारु महिलाके स्थिति अभिन भयानक बा । एकचो मै बुडिहे पुछ्नु, पहिले पहिले कौनो महिला बलात्कृत हुइँट् टे उ मुद्दा कैसिक सुल्झे कहिके । उहाँके बाट सुनके मै भावविह्वल हुइनु । बलात्कृत हुइल कौनो महिला उ घटना लुकाइ नैसेकके खण्डमे गाउँके भलमन्सा बरघरहे खबर होए । टब गाउँमे खेल (बैठक) होए । उ खेलमे गाउँके पुरुष किल (एक घरसे एक पुरुष अनिवार्य) उपस्थित होए । ओइनके निर्णय होए बलात्कारीसे डाँर लेजाए । उ बेला रुपिँया पैसाके जबाना कम रहल ओरसे डाँरके रुपमे सुवर, भेँरी टिरेपरे । पाछे सब पुरुष मिलके खाइँट् । ‘का करही, मोर बुडिक् जवाफ रहे, डाँर टिराइँट् ओ गाउँक सक्कु थारु मिलके खाइँट् ।’
थारु शब्दसे विशेषत थारु पुरुषहे जनाइठ् । जैसिक ‘मान्छे’ शब्द ‘पुरुष’ हे किल समेटठ् । मान्छे कहेबेर पुरुषके इमेज जैसिक बनठ्, थारु कटिकिल फेन पुरुषके इमेज बन्ना हो । थारु समुदायमे ‘थारु पुरुष’ हे इंगित करना ‘थारु’ शब्दके प्रयोग करजाइठ । अपन गोसियाहे फेन ‘थारु÷थरुवा’ कहिजाइठ कलेसे गोसिनियाँहे ‘जन्नी’ ।
अपन उप्पर हुइल यौन हिंसासे महिला गर्भवती हुइलमे, उहाँहे स्विकर्ना कौनो पुरुषके जिम्मा लगाडेहे समाज । कौनो अवस्थामे भर उहाँ उप्पर हिंसा करना पुरुषके जिम्मामे । अपन बलात्कारीसंग भोज हुइल कल्पना करे सेकजाइ ? जहाँ जब फेन अपन बलात्कारीहे जबरजस्ती हेर्ना बाध्य पारजाइठ । उफ् । मन मिलके गर्भ रहना ओ ओक्रेहे जिम्मा लगैना फरक प्रसंग हो ।
थारु समुदायमे अपन गाउँके अगुवाई करना जिम्मेवारी महिला ओइने कबु नैपैलैं । गाउँके भलमन्सा, बरघर जबफेन पुरुष किल बनल रना । भर्खर किल थारु बस्ती, विशेषकरके कैलाली ओ कञ्चनपुरके कुछ गाउँमे थारु महिला लोग भलमन्सा बन्ना अवसर पैले बटै । थारु गाउँमे बाँडफाड करना चिरक्या, गुरुवाके जिम्मेवारीमे महिलाहे कबु कल्पना समेत नैकरजाइठ । तन्त्रमन्त्र जन्ना पुरुषहे गुरुवाके उपाधी डेके सम्मान करजाइठ । मने महिला तन्त्रमन्त्र जन्ना बोक्सीनियाँके आरोप लगाजाइठ ।
पारम्परिक रुपमे पुरुषसे ओगट्ना यि सब पद शक्ति ओ ज्ञानसंग जोरल रहठ । जस्टे, बरघर प्रत्यक्ष रुपमे शक्तिसंग जोरजाइठ । ओइसिन शक्ति जिहिनसे सक्कु गाँउबासीहे मोबिलाइज करठ् । गुरुवा ज्ञानसंग जोरजाइठ । जेकर प्रत्यक्ष सम्बन्ध तन्त्रमन्त्रसंग रहठ ।
महिला तन्त्रमन्त्र सिक्लेसे बोक्सिनियाँ बन्ना कना महिला ज्ञान आर्जन करे नैबनठ् कना मान्यता हो । महिला ज्ञान आर्जन करलेसे ओकर उपयोग करे नैजानठ । या टे विनाशके लाग गलत प्रयोग करठ कना पारम्परिक मान्यता हो ।
परिवारमे रहे या टे समुदाय, उप्परके यथार्थतासे थारु समुदायमे असमानताके मोडेल कत्रा जटिल अवस्थामे रहे वा बा कना बटाइठ । अइसिन भेदभाव ओ स्टीरियोटाइप थारु समाजके संरचना ओ अभ्यासमे व्याप्त बा ।
थारु महिला ओइने अपन परिवार, अपन समुदाय ओ समग्रमे राष्ट्रके कल्याणके लाग अभिन्न बटैं । गाउँ समाजके अगुवाइ कैनासे अपने वञ्चित रलेसे फेन अपन प्रियजनके लाग अवसर सिर्जना करठैं । भलमन्सा, चिरक्या, गुरुवा हुइना प्रत्येक पुरुषके घरायसी काममा अधिक सहयोग पुगैना महिला हुइँट् । तथापी महिलाके योगदानहे मूल्यांकन नैकैजाइठ, ना टे मुआब्जा डेजाइठ । अपन समुदाय ओ देशके लाग थारु महिला लोग लगातार काम करलैं, मने समुदाय ओ देश ओइनके लाग का करल ? न्यायिक आवाज समेत उठाइ नैसेकल । थारु महिलाके वास्तविक स्थिति पुष्टि करना जानकारी बरु नुकाइठ ।
घरेलु काममे महिलाके प्रतिनिधित्व मने ओरक विपरित, सार्वजनिक जीवनमे उहाँहुकनके सहभागिता ज्यादा न्यून हुइल कारण पुरुष प्रभावशाली रठैं । सार्वजनिक जीवनमे पुरुष ओ महिलाके विभेदात्मक सहभागितासे महिलाके भूमिकाहेसे पुरुषके उच्च मूल्यांकन करठ । थारु महिलाप्रति थारु समुदाय उदार रहल बटाइल जस्टे भोगाइ थारु महिलानके जो हो । थारु समुदायमे फेन पुरुष ओ महिलाके क्रियाकलाप अविभाज्य बा । मानो थारु महिलाके काम भात पकैना किल हो । घरके सबजे खाइल टठिया ढोइना किल हो । मै डेखल, भोगल ओ सुनल थारु महिलाप्रति थारु समाजके दृष्टिकोण यिहे हो । मोर बुडिक् फेन यिहे हो । मोर आजिक फेन यिहे हो ।
कथित उच्च जातके महिला भोग्नासे खासे फरक भोगाइ नैहो थारु महिलनके । पितृसत्तात्मक परिवारमे भोगे परना उ सब असमान रीतिथिति ओ नीतिनियममे बर्हे परठ थारु महिला । थारु महिलाके नियती फेन ओहे हो, जहाँ महिलाहे केवल चुल्हाचौकाके डाइभर ओ बच्चा जन्मैना मशिनके रुपमे लेजाइठ । ओ घरभित्तर विशेष ध्यान केन्द्रित कैके एक पितृवादी स्त्री आदर्श प्रतिनिधित्व करे लगाजाइठ ।
थारु समुदायमे पुरुष ओ महिलाके सम्बन्ध प्रभुत्व ओ अधिनताके हो । घरायसी सक्कु काममे महिलाके प्रतिनिधित्व हुइलेसे फेन प्रभुत्व पुरुषके रहठ । घरायसी ओ सार्वजनिक जीवन डुनु अवस्थामे । सामाजिक काममे असंलग्न बनैना महिलाहे बहिष्करणमे पारजाइठ । आखिरमे थारु समाज फेन पितृसत्तामे अट्कल टे बा ।
आदिवासी समाज मातृसत्तामे आधारित हुइठ कहिके अधिक वकालत कैजाइठ । ओइसिक हो कलेसे मातृसत्ता कलेक एकडम महिला भात पकाइ परल कना हो ? सबके खाइल भाँरा महिला मिसे परना हो ? कि घरायसी सब काम करलेसे फेन खेतबारी ओ बाहेरके अन्य काम करना हो ? नेपालके कौन आदिवासी समाजमे महिला ओ पुरुष डुनु बराबर रुपमे घरायसी काम करठैं ? बरु घरबाहेरके काम महिला पुरुष डुनु बराबरी करठैं ।
घरभित्तरके यथार्थ का हो कलेसे, थारु महिला थारु हुइलमे हेपुवामे नैपरे परी । मने एक महिला शरीर लेके जन्मलमे सब मेरिक लैंगिक भेदभावके सामना करेपरठ । घरबाहेर निक्रलके बाद जातीय ओ लैंगिक पक्षपातके किनारमे बनल अपन प्रतिके धारणाके सामना करेपरठ । घरबाहेर जात व्यवस्थामे आधारित समाज बा । जहाँ नश्लवाद ओ सेक्सिजम एकसाथ मिलठ । जेकर प्रभाव विनाशकारी रहठ ।
अइसिन नश्लवादी ओ सेक्सिस्ट समाजमे थारु महिला त्रुटिपूर्ण वा अपूर्ण कथाके सामना करेपरल बा । काल्हसे आझसम । थारु समुदायके आकांक्षा थारु पुरुषसे किल खास वर्णन करले बटैं । थारु समुदायके गौरव करना इतिहास कहुँ लिख्लेसे फेन ओकर प्रतिनिधित्व केवल थारु पुरुष किल करठैं । थरुहट भूमि उर्वर बनैनामे फेन केवल आजा, बुडु, बाबाके योगदान किल उल्लेख हुइठ । आजी, बुडी, डाइक् योगदान लोप पारजाइठ । थारु समाजके इतिहास फेन पुरुष न्यारेटिभ सुसज्जित मिलठ ।
जब हम्रे (महिला) थारु महिलाके अभिनसम नैलिखल यथार्थता खिट्कोरठी, हमार अधिकार उल्लंघन करना सामाजिक संस्था ओ संस्कार पर्दाफास हुइठ । हमार आवाजसे पुरुषके पारम्परिक मानदण्डहे चुनौती डेहठ । ओ हम्रिहिनहे कौनो ना कौनो रुपमे दोषी बनाजाइठ । कलंकित बनाजाइठ । चुप लगाजाइठ ।
मने कौनो ना कौनो माध्यमसे हम्रे यी मौनता टेरे चहठी । हमार मध्ये ढेरहे पटा नैहो कि हमारसंग अधिकार बा । टबेमारे हम्रे हमार अधिकार दावी करना असमर्थ बटी । यदि हम्रे मौनता टुरडेब कलेसे, हमार अधिकारके संरक्षण हुइ । हमार कथा वास्तविकतामे आधारित नयाँ मने बिलकुल यथार्थ न्यारेटिभ निर्माण हुइ ।
हो, पुरुष लैंगिक समानताके विचारहे अंगालेके लाग पहिलसे ढेर सक्रिय बटैं । मने बाट जब घरायसी श्रमके आइठ, परम्परागत मूल्य मान्यता हावी हुइठ । यिहे बटाइठ, लैंगिकताके बारेमे हमार विश्वास वास्तवमे कत्रा कडा बा ।
महिलाहुक्रे घरबाहेरके करियर निर्माण करनामे सर्वव्यापी समर्थन डेखाइठ अब्बे । टब फेन समाजमे महिलाके लाग प्रतिबन्ध अभिन अवस्थित बा, जोन बटाइठ कि करेपरना अभिन ढेर बा ।
कौनो फेन समुदायके महिला सशक्त ओ स्वतन्त्र हुइक लाग सार्वजनिक जीवनमे कत्रा सक्रिय बा कना एक पाटा टे हो । घरायसी काममे लैंगिक समानता ओ बरोबर हिस्सेदारी नैहोके सहि अर्थके स्वतन्त्रता लैंगिक समाज महसुस करे नैसेकी ।
हालः दक्षिण कोरिया


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