शुक बैशाख ०७ , ७ बैशाख २०८१, शुक्रबार| थारु संम्बत:२६४७

थारु जातिनके जाँगर ओ पेशा

थारु जातिनके जाँगर ओ पेशा

तराइके भुमिपुत्र थारु हुँकरे तराइके अधिकसे कृषि योग्य जग्गाके आवाद करुइया जात हुइटैं । तराइमे औरे–औरे जाति ओ समुदायसे बसाइसराइ कैके करिब ५२ प्रतिशत मनैं आवादी बसोवास करल बटैं । थारु समुदाय एक्काइसौ शताब्दीमे खेतिपाति ओ पशुपालन मुख्य पेशाके रुपमे काम करटैं । थारु जाति हुँकरे परम्परागत कृषि पेशाके माध्यमसे अपन जिन्गी गुजारा करटी आइल बटैं । उहे कारन नेपलहे कृषि प्रधान देश कैके फेन चिन्हगैल बा । थारु समुदायके ८० प्रतिशत सेफे ढेर मनै कृषिहे अपन मुख्य पेशा बनैना बाध्य बटैं ।

पेशागत विविधि करन करनासे थारु समुदाय आर्थिक विकासमे पछगुरल बटैं । थारु समुदाय जौन बाधा श्रम, कमैयाँ, कमलहरी प्रथासे पिडित हुइल बटैं । काहे कि थारु जातिनके जग्गा नै हुइलक ओरसे घर परिवार बरवार हुइलक ओरसे थारु हुँकरे कमैयाँ लागके घरवार चलैटी बटैं । यहे कारनसे थारु समुदाय पिडित बटैं । कमैयाँ मुत्तिके डेढ दसक ओ कमलहरी मुत्तिके तीन बरस हुइगैल टबफेन सरकार अपनेहे बनाइल मुक्त कमैयाँ फेन स्थापनाके काम करे नैसेकल हो । अभिनफेन हजारौ कमलहरी हुँकरे मजदुरके रुपमे काम करटी बटैं । सुकुम्बासी ओ भुमि पिडितके लाग कत्रा कार्यक्रम आइल उ थारु हुँकरे फाइदा नैपाइसेकल हुइटैं । थारु बाहेक और समुदायके मनै भमिहिन पुरान वस्तीम असिन दृश्य डेखे बेर अन्खोहर डेखाइठ । ओ शंका करे सेकजाइठ कि भुमिहिन थारु समुदायफे डोस्रो भुमिके स्वामित्व लेना मसे बंचित नैहुइल हो । थारु समुदायके भुमिके मुख्य समस्या असिन बा कि थारु समुदाय तराइके अधिकसे अधिक भुमि गल्जार परलक बात जाहेर बा । २१ साल पहिले मौजा ओ विर्ता आदिके नाउँमे थारुनके आवाद करल जग्गा हंठ्यागैल कलसे ओकर पाछे जग्गाके लाल पुर्जा डेना बेला बिभेड कैगैल । राना परिवारके मौजा ओ विर्ता के कारन थारु हुँकरे कमैयाँ जसिन बाधा मजडुर हुइ परलिन । कमलहरी जिन्गी जिए परलिन ।

कमैयाँ मुक्टी ओ सुकुबासि आन्डेलनके मारे थारु समुदाय हुँकरे कम आर्थिक लाभ कैलेसे फेन उचित पुर्न स्थापनाके अभावमे गरिबिके रेखासे उप्पर उठे नैसेकल हो । जल जमिन ओ जंगलमे आदिवासि समुदायके पहिल परामर्सके हक लग्ना कलेसेफे तराइके बन्वाँ, फँटुवा ओ लडियक् किनारम् अनाधिकृत रुपमे बस्ती बैठना काम हुइटी बा । २०६८ सालके जन्गणना अनुसार तराइमे ५२ प्रतिशत मनैनके बसोवास करलक डेखगैल बा । नेपाल देशमे हरेक नेपाली नागरीकके विकासके लाग समान अधिकार पैना बा । थारु समुदायहे आघे बर्हाइक लाग थारुनके मुल पेशा कृषि, कृषि पेशासे सम्बन्ध ढर्ना जग्गा उप्परके स्वामित्व ओ उपयोगके प्रगतिशिल व्यवस्था हुइना फेन ओटरै जरुरी बा । जस्टे कि कृर्षिमे व्यवसायिकरनमे सहयोग, कुर्षि विश्वविद्यालय अध्ययनके लाग बिसेस कोटा, कुर्षि तालिम ओ लगानी ओ बजार प्रर्वधन निति जैसिन काम करलेसे थारु समुदाय आर्थिक रुपमे बलगर बन्टी जैने रहे । आझ सम फेन अपन नाउँमे रलक जग्गाके लाल पुर्जा भौकामे ढारके, बैठ्के चिट्ट बुझाइ परल बटिन छारा करुइया थारुन । थारुनके जाँगर जग्गामे जोरे सेक्लेसे कट्रा सोहावन डेखैने रहे । सामावेसी सिद्धान्तके आधारमे थारु राज्यके हरेक क्षेत्रमे सहभागी बनैना अनिवार्य बा ।


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