बिफे चैत १५ , १५ चैत्र २०८०, बिहीबार| थारु संम्बत:२६४७

सावन दिन घटावन

सावन दिन घटावन

 इहे महिनम सवजाने मेरमेराइक हरचाली करथाई । गोरी बिन्ना ,मन्ड्रा, सज्ना,हेल्का, डिल्या,खोग्हया अस्टे – अस्टे मेरमेरकइ चिज बिन्ना काम कारथाई । बर्खा के समय रलेसे फेन सबजे अपन–अपन खेतीपातीक  काम ओरवाके सावन महिना मे हरचाली करना सोच्थाई । कोई अपन छाइृन के भोजक समा के तयारी मे गोरी बिरा भागना मे लागल रथाई ते कोइ माच्छी मरे बन्सी लागइ,बरेरुवा लागइ कोइसावन महिनाम काम नै राहल ओरसे दिनभर सुटके दिन विताईथई।  अस्ते अस्ते काम मे व्यस्त रथाई । हमार थारु जात सवान महिना के सदुपयोग असिके करथाई ।खेतीपातीक् काम ओराके सावन महिना परटि किल हमार थारु जातिन के टिहुवार आइना सुरु हुजाइत । गाँउ भरीक सक्कु जन्हनके खेटुवा लागके ओवराइट ते खेतसेकाही हरडहुवक् रमझम फेन कैना बेला हो ई । अपन अपन नातपातन घर गोट्यार, चेलीबेटीन, आसपास के मनाइन हे बलाके खानपिन रमाइलो फे करथाई । गुरही असरैना समय फेन ई हे  सावन मे हो । गाँउ के कन्या लवण्डा –लवण्डीन गुरही असरैना समय फेन ई हे हो । गुरही मे गुरही के आघे के साझके दिन मे घुगुरही  (गुडा) भिजैना चलन बा । आउर लवान्डी मनइ लेङ्गगा फरिया लगाके ओ लवण्डा मनई उज्जार धोती पेहके हातमे केरा के लाठीपोगा ले के गाँउके दखिन ओर गुरही असरैथाई । कुछ रोग विरोग नलगे, कौनो मेरके दु ः ख नसताइऐ काहके गुरही आसरैना चलन पहिले से आइल हो । चारुओर हरयाली से छाईल ई सावन महिना अलग गै किसिमके देखाईट् । कबु पानी के बर्षा से ते काबु हरयाली के मौसम ले रमझम  देखाईट्  यी महिना मे ।दिन महिना पख ओ बरसके हिसाबले हेरबो कलसे सावन महिना ठनसे दिन दिने रात लम्मा हुइत आउर दिन छोट हुइटी जाइठ । सावन महिना परटिकिल मौसम फेन बडल्टी जाइठ । तबमरे साउन दिन घटावन फेन कना चलन बा बर्खा के समय रहले से चारुओर हरयर ,सुन्दर शान्त रमणीय वातावरण सुहावन बिल्गाइठ । बडरी हेरलेसे बड्री के रुपरङ्ग ओर चराचुरङ्गी के मधुर आवज से मगांन हुईल जस्ते लागठ् सावन महिना के मौसम मे ।ई समय मे सक्कु खेतवा मे धान लगाइल रहथ । तब मा रे गोरु भौस फे चराई जाई नाई बान्थिन । खेतवा मे कोई बनुवा मे चराई जाइत ते कोइ घरही गोरु भौसीन बन्धले रथाई । खेतवामे द्दास काटे जाइबो जन्नी थारु मनाई सबजे बरा साइयर लागठ् । समय ओ परिस्थिति जसिन रहले से फेन हाम्रे थारु हुइटी । पुर्खान के समय से चल्टी ओ मनाइटी आइल  रीतिरिवाज ओ संस्कृति हे बाचय पर्ना हमार सक्कु थारु जातिनके कर्तव्य हो । हमार थारुन मे सावन महिना से टिहुवार आइना सुरु हुइजाइत । सुरु मे ते हरदहुवा, गुरही, अस्टिमकि, अट्वारी, दशइया,देवारी अस्ताक – अस्ताक टिहुवार आइटी रहट् । सिजन अनुसार हामर थारु जातिन के आपन छुट्टै किसिम के रितिरिवाज भाषा संस्कृति ,कला ,भेषभुषा,रहनसहन, खानपिन के फे  अलगै  चालचलन बा । यी सागसगै चलना हमार थारुजातिन के कर्तव्य हो । हमार थारु जाटिन मे वर्ष फे फरक किसिमले रहत जब माघ महिना आइत तब थारु जातिनके लावा वर्ष माघ १ गते से सुरु हुइत । थारु जात क्े साम्वत फे फरक बा । महिना हे फे फरक किसिम से नाउ लेना चलान बा । थारु जातिन के रितिसंस्कृति हे बाचय परना अभियान कर्ना जरुरी बा । ओर बाचय परना हमार थारु जाटिन के कर्तव्य फे हो ।


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