शनिच्चर पुष ०६ , ६ पुष २०८१, शनिबार| थारु संम्बत:२६४७

पृष्ठभूमी

नेपालके तराई ओ मधेशके २२ जिल्ला मे थारु जाति सदियौ से बैठ्ति आइल बतै । यी थारु हुक्रनके अपन अल्गे रहनसहन चालचलन आपन अल्गे भेष्भूषा, पहिरन, रिती संस्कृती बानी बेहोरा बातिन् । रिती संस्कृती भित्तर धेउरे नाचकोर, गीतबास ,थारु हस्तकला थारु खेल से लैके थारु साहित्य थारु उत्पत्ति उत्थान समाबेश हुइल बा । जौन गैर थारु हुक्रनके रिती संस्कृतीसे एकदम फरक देखा परथ । यी थारु रिती संस्कृती हे गहिर ओ लग्गेसे खित्कोरके हेर्वि कलेसे यम्ने थारु हुक्रनके वास्तविक पहिचान ओ अमूल्य सम्पत्ति नुकल बा ।

जौन थारु हुक्रनके पहिचान किल नाई हुके पूरा देश नेपालके पहिचान ओ सम्पत्ति हो । यिहे सम्पत्ति नेपालहे फेन चिन्हईति आइल बा । यकर संरक्षण संवद्धन करेकलग सक्कु जे अपन अपन ठा“उसे प्रयास कर्ना जरुरी देखापरल बा । ओ प्रयास फे करती आइल बातै । कोई पत्र पत्रीका मार्फत, कोई रेडियो मार्फत, संघसंस्था मार्फत फे करती आइल बातै ई सक्हुनके आपन अल्गे अल्गे क्षेत्र बातिन ।अैोसिक सबकोइ अलग अलग दगरामे नेग्लेसे जौन ठाउमे पुगाई ओ पुगे पर्ना हो । उ ठाउमे पुगाई नाई सेकजाइथ तबमारे जम्माजे एक दोसर जन्हनसे सहकार्य करती जाई पर्ना जरुरी बा । ओ यीहिनहे लोप हुइ नाई देहेक लग यिहिन बचाइक लग बलगर बेन्≈वा बनाइ पर्ना सक्हुनके कर्तव्य हो । यिहिनहे मध्य नजर कैके अपन ठाउँसे कुछ बलगर बेन्ह्वा थारुनके डट कम बनी की ? कहिके थारुनके डट कमहे संचालनमे नानल हो ।सञ्चालनमे नन्ना मुख्य कारण का हो ? संस्कृती बचाई पर्ना जरुरी काहे बा ? सक्कु जात जातीनके समाजमे मुहार देखइना ओ चिन्हैइना कना ओइनके आपन रिती आपन संस्कृती हुइतिन् । ओस्तेके हमार थारु हुक्रनके पहिचान फेन थारु रिती संस्कृृती भित्तर नुकल बा । जब सम हमार हुक्रनके आपन रिती संस्कृती रही तब सम हमार अलग पहिचान रहि ओ जौन दिनसे हमार रितीसंस्कृती हेराइजाई ओहे दिनसे हमार पहिचान फेन हेराजाई ।

हम्रहीन काहे नै चिन्ठै कि थारु हुइतै, हमे्र थारु हुइती कना आधार कहु नै पाइसेकब ।अब्बेक थारु हुक्रनके संस्कृतीक स्थिती हेरलेसे पहिलेक तुलनामे दिन प्रतिदिन हेरइती जाइता । लावा पुस्ता सँगे लउवा लउवा देश विदेश के गैर थारु हुक्रनके रिती संस्कृती हे विकृती के रुपमे भित्रैइती आइतै । हम्रे ओहे पुरान पुर्खनके छोरके गैल शहिदानके बारेम ओइनके बेलसल सरसमान बनाइल रिती संस्कृती हे अध्ययन काहे जरुरी बा कलेसे हम्रे थारु आखिरमे हुइती के ? हमार उत्पत्ती उत्थान कैसिक हुइल , अब्बा हमार समाजमे कौन अवस्थामे बा कहिके बुझेक लाग हमार विगत मनेकी पुर्खनके बारेम जन्ना जरुरी बा । ओस्तेके अब्बे हम्रे आपन इतीहास का बा ओ अब्बाके परिस्थिती कैसिन बा कहके हो । बुझले रहब कलेसे हमार लउवा अइना पुस्ता ओइन फेन कहोर जैना कहिके मजा डगर देखैना ओ मजा डगर बनैना । अब्बा हमार सक्कु कन्धम बा ।

अगर हम्रे फरछवार डगर बनाइ ओ देखाइ नै सेकब कलेसे हमार लउवा पुस्ता संस्कृती बचैना ओ इतिहास बनैना डगर भुला जैहि ।थारुनके डटकम का हो ?थारुनके डटकम कना थारुनके बारेमा लिख्ना अध्ययन कर्ना एक थो संसार भर देखे सक्ना मेरिक वेबसाईट हो यिहिनहे एकथो ओपेन सोर्स प्रोजेक्ट कथै यी बेब कौनो एक जनहनके लग किल नै होके य सक्कु थारुहुकन के, थारुहुकनके लग थारुहुकनसे संचालित नोनपोर्फित थारु प्रोजेक्त हो । यी थारुहुकनके लग किल नाई होके बरु सक्कु नेपाली गैर नेपाली देश विदेश ीओ थारुहुकनके बारेमे जानकारी देहकलग सक्हुनके लग बनाईल हो । यमनसे थारुनके पुरान इतिहास , रहनसहन , रिती संस्कृत ीऔर सक्कु थारु हुकन के जीवन शैली के बारेमे पुरा जानकारी लेह सेक्जाईथ । ओ यीहिनके रिती संस्कृती बचैना बलगर बेन्हवा के रुपमे हेरे सेक्जाईथ ।


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