शुक चैत १६ , १६ चैत्र २०८०, शुक्रबार| थारु संम्बत:२६४७

थारू समाजमे रहल विज्ञान

थारू समाजमे रहल विज्ञान

– श्रीधर चौधरी

आजसे कायौ बरष पहिले हमार थारूहुक्रे पह्रल लिखल नाई रहै । उ बेलामे हमार थारू जातिहुक्रे पूर्णरुपमे शिक्षासे वञ्चित रहै । थारूनके बहुट बरुवार ठाउँमे क, ख लिखे पह्रे जन्ना मनै समाजमे बहुट मुस्किलसे मिलै । उ समयमे हमार थारू समाजमे ज्ञानगुणके बात ओस्तके शिक्षा फैलादेहुइया कोई नाई रहै तबमारे हमार थारू पुर्खाहुक्रे आपन घर छिमेकके मद्दत करटी औरेक चकारी करके एकदमे साधारण आउर न्यून जीन्दगी बाँचत रहै । पहिले न ते बजार, न ते शिक्षा पैना स्कूल, न ते स्वास्थ्य सेवा पैना अस्पताल नैरहे । तबफेन उ बेलाके हमार अशिक्षित थारूपुर्खाहुक्रे स्वास्थ्य ओ एकदमे लम्बा दिर्घाकालीन जन्दगी जिए सेकै । उ समयमे हमार थारू पुर्खाहुक्रे सय बरषसे ज्यादा बाँचै । शिक्षा नते स्वास्थ्य सेवा पाइल थारू कसिके अत्रा लम्बा समय तक बाँचे सेक्लै ? कहिके ओ का कारणसे शरीरमे लग्ना रोगसे कसिके मुक्त रहे सेकै ? का चीज करै, त कि पहिले थारू बस्तीमे रोग नैफैले ? का पुर्खाहुक्रे सचमे रोगके डवाई जानै ?

हो सचमे हमार थारू पुर्खाहुक्रे बहुट रोगके उपचार जानै । हमार थारूहुक्रे खैना चिज, कैना काम, कौनो चिज बनैना तरिका, पिना चिजके आधारमे नै बहुट रोगसे मुक्त हुइल रहै । थारूके असिन काम एकदमे वैज्ञानिक तरिकाके रहे । मानौकी पहिले थारूहुक्रे विज्ञान तथा आयूर्वेदके बारेमे शिक्षा पैले बाटै । तबफेन पुर्खाहुक्रे वैज्ञानिक तत्वमे आधारित रहल बात जानै । औइनठन विज्ञानमे आधारित बहुट बात रहिन । जस्ते कि हमार थारू समाजमे पैलेहिसे जाँर दारु बनैना प्रचलन बा । आउर यि दारु बनैना काम विज्ञान हो । दारु बनाइक लाग थारूहुक्रे सक्कु चिज अप्ने घरमे रहल सामानसे बनैठै । दारु बनाइक लाग सव चिज अप्नही जुटैठै । बनैना करटी पहिलेसे नै विज्ञानके एकठो काम करटी आइल बाटै । खास करके दारुहे माघी, हरडहुवा, औली उर्टना, चुक्की खैना, भोज भटेरमे काम लगैनालगायत टर टिहुवार तथा काममे लगैटी आइल बाटै । ओस्तके दारुहे ओकर ठिक मात्र मिलाके खाना बचैना, ठकाई मर्न जसिन काममे हमार पुर्खाहुक्रे दारुके प्रयोग करटी आइल बाटै ।

आधुनिक युगमे विज्ञानसे मानल और हमार थारू समाजमे पहिले नै बन्टी आइल ओ तमान काममे प्रयोग हुइटी आइल रहे । मेडिकलके क्षेत्रमे दारुके प्रयोग व्यापक बाटिस । जस्ते कि दारुहे एन्टीसेफटिक, तमान प्रकारके विषादी बनैना, छालाके घाउ, खटरा, दाद, खौरा जसिन रोगहे निर्मुल करेक लाग दारु प्रयोग हुइटी आइल बा । ओस्तके, दारुहे जुरी आइल बेला शरीकके तापक्रम घटैनामे फेन प्रयोग करे सेकजाइठ । बहुट बहुट तेज हुइलेक ओरसे ल्याम्प स्टोभ, गाडीमे इन्धनके रुपमे प्रयोग करे सेकजाइठ । अप्नहे दारु बनाके थारू समाजमे हमार पुर्खाहुक्रे दारुहे सकारात्मक काममे फेन लगैटी आइल रहै । दारु पिना ओ छाँकी बुँडा चह्रैना हमार समाजमे ते बा नै मने यकर हमार समाजमे सकारात्मक भूमिका बाटिस । अभिन हम्रे दारुहे चहलेसे कुछ आउर सकारात्मक काममे लगाइ सेकब । यि हमार थारू समाजके एक ठो विज्ञान फेन हो ।

ओस्तके हमार थारू समाजमे घोघी खैना चलन अभिन फेन बा । पुर्खौसे चल्टी अइटी रहल घोघी खैना चलन अभिन बहुट फाइदाजनक बा । पहिलेके समयमे तो टाइडफाइड । मलेरिया जसिन खतरनाक रोगके औषधी नैरहिन । मने हमार थारू पुर्खाहुक्रे यहे टाइडफाइड मलेरिया जसिन खतरनाक रोगसे बचेक लाग घोघी खैना सुरु कर्लै, ओ घोघाी खाके यि रोगसे बच्ना सफल फेन हुइलै । ‘मोलस्का फाइलम’ अन्तरगत पर्ना विना रिंर (ढाड) रहल जीव घोघी वास्तवमे बहुट फाइदाजनक रहल बा । घोघीमे प्रसस्त मात्रामे क्याल्सियम, प्रोटिन, भिटामिन ओ खनिज पैना हुइलेक ओरसे फाइदाजनक रहल बा । मानौकी घोघी पानीमे रहलेसे फेन यिहीनहे हमार समाजमे पकैना विधि एकदमे शुद्ध बा । काहेकी यिही खैनासे आघे बहुट तरिका अप्ना जाइठ । ओ घोघीहे डवाईके रुपमे प्रयोग करटी आइल रहै । जेहिक मारे मलेरिया, टाइडफाइड रोगसे बाचत रहै । आब फेन घोघीहे शुद्ध तरिकासे पकाके खैलेसे फाइदाजनक बा । हेग्नी एकदमे खतरनाक रोग हो । यिहीसे बचेक लाग बहुट बरवार क्षमता चाहठ । पहिले हमार थारू पुर्खाहुक्रे बहुट कम लागिन । लग्लेसे फेन बहुट जल्दी उ हेग्नीहे नियन्त्रण करै । अमरुटके टुसा पिसके औषधी जसिन बनाके खैना ओ हेग्नीहे झट्टे ठीक पारै । हेग्नी लागल बेलामे शरीर मन्से बहुट पानी चल्जाइठ । मने शरीर मन्से ओत्रही मात्रामे बिना पानी घटैले हेग्नी नियन्त्रण करके हेग्नी पोक्नीसे बचल रहै । हेग्नी हुइल बेलामे शरीरमे ज्यादा मात्रामे पानी घट्ना कारणसे यि बेलामे हम्रे बहुट ज्यादा पानी पियक परठ । हमार पुर्खाहुक्रे शिक्षित नैरहलेसे फेन बहुट रोगके उपचार विधि जानै ।

जडिबुटीमे निर्भर होके रोग चोखवाइना हमार पुर्खा अभिन तक जिन्दा बाटै । नते पुर्खाहुक्रे कौनो आयूर्वेदिक शिक्षा पह्रले रहै । तबफेन आपन समाजमे रहल रोग ब्याधिहे बहुट दुर भगाके समाजहे रोग मुक्त बनैले रहै । ओस्तके हमार थारू समाजके पुर्खाहुक्रे दाँत सम्बन्धी जम्मा समस्याहे मुक्त कर्ले रहै । आजकालके जमानामे ते दाँतके डक्टरवा ओ दाँत बचाइक लाग तमान डवाई बा । मने थारू पुर्खाहुक्रे दाँतके विशेष डवाई जन्ले रहै । जौन विधिसे दाँतके सक्कु रोगसे बचल रहै । निम्जोर तथा रतनजोट कना एकठो छोटमोट झंग्ली हो । आउर यम्ने रहल दुध जसिन गार पानीमे असिन क्षमता रहठ कि, दाँतके कीरानहे मारदेहठ । तबमारे दाँतमे कीरा लागल बेला ओकरे डाँठसे डटिउन करै ओ गिजा फुलल बेलामे फेन एकर उपयोग करै ओ रोगसे मुक्त रहै । सामान्य अवस्थामे आपन दाँत निमके डाँठ, सखुवाक पाटिर डाँठसे आपन दाँत मजबुट ओ स्वस्थ बनैटी आइल रहै हमार थारू पुर्खाह्ुक्रे । ओस्तके दाँतके दुखाईके समस्या विना कीरा रहल औरे तरिकास फेन नियन्त्रण करे सेकजाइठ । यहे विधि अप्नाके दाँत सफा कर्ना कारणसे हमार थारू पुर्खाहुकनके दाँत बहुट बल्गर रहिन । यहाँसमकी हमार थारू पुर्खाहुक्रे ओखर, बहेर, सुपारी जसिन आँखर चिजफेन दाँतसे सहजुले फोरे सेकै । काहेकी दाँत बल्गर बनाइक लाग पुर्खाहुकनठन बहुट बह्रिया उपचार विधि रहिन ।

बर्खाके समयमे देखा पर्ना समयके रुपमे रहल घाउ, खट्रा, खुंज्ली, खौरा फेन हो । आब्बाके समयमे याकर उपचारके लाग बहुट डवाई, मल्हम चलल बा । जेहिसे नियन्त्रण फेन हुइट । लेकिन एकदमे कम मात्रामे । मने पहिले हमार थारू पुर्खाहुक्रे असिन समस्यासे पीडित नाई रहै । आपन बनाइल दारुसे खंज्ली, खौरा जसिन भयानक समस्यासे बाँचल रहै । असिनमे दारुके साथसाथे आपन घर आँजरपाँजर पैना जडिबुटिके झोरसे खौरा, खंज्ली जसिन समस्या दुर करटी आइल रहै । हमार थारू समाज संयुक्त हुइलेक कारणसे कौनो फेन रोगव्याधि हुइल बेलामे आपनकेल नाई होके औरे जहनमे रहल रोगव्याधिहे चोखवाके आपन पुरा थारू समाजहे रोग मक्त पर्ले रहै । हमार थारू समाजमे अभिन तक गुरुवा बाँचल बाटै । हम्रे सकारात्मक नजरसे हेरब ओ सोचव कलेस ओइनठन जडिबुटी सम्बन्धी बहुट ज्ञान बाटिन । ओइनहे ठिक सोचप कलेसे गुरुवाहुक्रे आयूर्वेदिक बैद्य हुइटै । उहाँहुकन संग रहल ज्ञान विज्ञानके मेडिकल सेक्टर बराबर बा । हमार थारू समाजमे रहल पुर्खाहुकनके बहुट तेज दिमाग रहिन । केवल शिक्षाके कमीसे पो ओइने दिमाग विकास कर्नामे काम नैलागल । मने अत्रा तेजिलो दिमाग रहिन कि, ओइने भाविष्य देखे सेकै, सोचे सेकै । साधारण जीवन बिटैलेक कारणसे हमार थारू समाज साधारण रहल बा । जस्ते कि पहिले ते पानी पिना ठाउँ कुवा रहे । कुवा बनाइक लाग हम्रहिन पानी रहल ठाउँ चाहठ । हमारे थारू समाजके पुर्खानमे असिन तेजिलो दिमाग रहे, कौन ठाउँमे कुवा बनैलेसे पानी अइना कहिके सहि आन्दाज करे सेकै । तब ओहे अनुसार कुवा खोडके पानी निकारे सेकै । विना वैज्ञानिक उपकरण प्रयोग कर्ले पानी मुहान पता लगैना ते झन विज्ञानसे बरवार हो । का ओइने जादुमन्टर काम करै ? सचमे भाविष्य देखे सेकै ? हो यि वास्तविकता हो । भविष्य देखे सेक्ना चानचुने बात नैहो । केक्रो दिमाग अत्रा तेज रहिन कि, ओइने पानी पर्ना दिन, बेम्टी उठ्ना दिन, यहाँसम कि आपन मुना दिन समेत जानै ।

हमार थारू समाजमे बहुट रोग अप्नही नियन्त्रण करै । आपनठन रहल ज्ञानके प्रयोग करके बहुट रोगसे बच्टी, समाधान करटी आइल रहै । हमार थारू समाजमे कुब्बर बठैना समस्या फेन बहुट रुपमे पहिलेसे चल्टी आइल बा । आब ते हम्रे कुब्बर बठैना समस्यामे बुहुट मेरके डवाई प्रयोग करठी । लेकिन तब्बेक समयमे हमार पुर्खाहुक्रे कुछ आउर विधिसे कुब्बर बठैना समस्या नियन्त्रण करै । रिंर रहल जानवर रेप्टेलिया क्लास (घुसकरिया कर्ना) अन्तरगत पर्ना गोहटी, ढमला सापिनके सिकार खाके पहिले कुब्बर बठैना समस्याहे ठिक करै । यि जानवरके सिकार केवल कुब्बर बठैनामे किल नाई होके ओइनके सिकार प्रयोगसे कुब्बर बठैनाके संगसगे शरीरके तमान ठाउँके जोर्नी बठैना समस्याहे नियन्त्रण कर्ना कामफेन लागठ । ओस्तके रेप्टेलिया क्लास अन्तरगत पर्ना जानवर ‘नमचेहुरिया’से थारूहुक्रे सुकेनाश जसिन भयानक रोगसे बच्टी आइल रहै । ओकर सिकारसे छोट लर्कनमे लग्ना रोग सुकेनाशसे थारू पुर्खाहुक्रे आपन बालबच्चा बचैटी आइल रहै ओ आपन भावी जीन्दगीके लाग आपन सन्तती बचाइट ।

आझके २१ औं शताब्दीमे विज्ञान ओ प्राविधिके प्रभाव संसारभर फैलल बा । लेकिन आझके जमाना कैसिके विज्ञान ओ प्राविधिके युग बने पुगल ? यहिसे पहिले बहुट बरष पहिले विज्ञानके चमत्कार करल देश फेन अस्ते रहे । उहाँ फेन विकास नैहुइल रहे । पहिले हमार देश समाज अविकसित रहे । ओस्तके सुरुमे यि दुनियाँ विकास नैहुइल रहे । समयके क्रमसंगे दुनियाँफेन बदलटी गैल । विज्ञान ओ प्राविधिके दुनियाँमे बदलगिल । मने हमार समाज बदले नैसेकल । औरे देशके मनैटे शिक्षा पैनै, सचेत हुइनै, आपन जानल ज्ञानहे आघे बह्राइलै ओ अप्ने बदलगिलै । लेकिन हमार थारू पुर्खा ओइनठन ज्ञान रह–रहटी आपन ज्ञानहे आघे बह्राई नैसेक्लै । कहेकि ओइनठन शिक्षा ओ सचेतना एकदमे कम रहिन । तबफेन बहुट रोगके उपचार जानै । बहुट चीज अनौठो ओ अचम्म लग्ना बनाइ सेकै । अन्य देशके बरवार मेडिकल क्षेत्रके वैज्ञानिकहुक्रे रोगके बारेमे ओ रोगके डवाईके बारेम खोज तथा अनुसन्धान करटी गैलै । अन्तिममे तमान रोगके उपचार पता लगैलै । लेकिन हमार थारूहुक्रे रोगके असिन सफल उपचार जानै, ओहिहे अनुसन्धान ओ प्रशोधित करे नैसेक्नै । मने शिक्षा पैले रहटै ते वास्तमे आपन जानल रोगके उपचारहे अनुसन्धान ओ प्रशोधित करे सेक्टै । लेकिन अशिक्षितहुके आपन जानल ज्ञानहे आधुनिकतामे उटारे नैसेक्लै ।

अन्य देशके वैज्ञानिक खोज कर्लै, तब मात्रै रोग विरुद्धके औषधी बनाइ सेक्लै । लेकिन हमार थारू पुर्खाहुकनमे अत्रा ज्यादा रोग सम्बन्धी उपचारके ज्ञान रहिन । ओहीहे एकचो प्रशोधित करेक पर्ना रहे । मने शिक्षा पाके आपन जानल ज्ञानहे आघे बह्राई सेक्टै कलेसे थारूहुक्रे अब्बा बहुट आघे बह्रल रटै । अत्रा आघे बह्रल रटै, उ सोचप टे हम्रहिन एकठो सपना जसिन लागी । मने शिक्षित रटै ते साइड उ सपना फेन अब्बा हमार आघे साकार हुइल रहठ ।

यहेक्रममे हमार थारू भैया पहिलेहिसे शिक्षित रहटै कलसे अब्बा सक्कु जाने प्रयोग करे सेक्ना बहुट दारुके कम्पनी रटिन । बजार क्षेत्र व्यापक रटिन । औषधीके बरवार हरबल कम्पनी रटिन । कौई कौनो रोग विशेषज्ञ रहटै । जेकर कारण विश्वमे परिचित रहटै । मने अपसोच अशिक्षाके कारण आपनठन रहल ज्ञान अप्नही लेके गैलै हमार पुर्खाहुक्रे । अभिन फेन हमार समाजमे पुरान ज्ञान हस्तान्तरण कर्ना बहुट कम चलन बा । यहिहे सुधारेक पर्ना जरुरी देखजाइठ ।

अब्बाके समयमे शिक्षित यूवाहुक्रे जस्ते आपन चालचलन, रितिरिवाज, संस्कृति बचैनामे प्रयासरत बाटै, ओस्तहिके पुरान ज्ञानहे फेरसे अनुसन्धान करके समाज, देश तथा मानव जातिके लाग कुछ करेक पर्ना जरुरी बा । ज्ञानहे व्यवसायीकरण कर्ना फेन अत्रही जरुरी बा । जेकर लाग अब्बाके व्यक्ति, समाज ओ राष्ट्र खोजीनीति कर्ना फेन उत्रही जरुरी बा ।

ठेगाना पहलमानपुर२ कैलाली

लेखक धनगढीस्थित कैलाली मोडेल कलेजमे अध्ययनरत बाटै ।


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