शनिच्चर बैशाख १५ , १५ बैशाख २०८१, शनिबार| थारु संम्बत:२६४७

थारु प्रकृति प्रेमी कसिक

थारु प्रकृति  प्रेमी कसिक

थारु प्रकृति प्रेमी कसिक

दुइ हजार बरस पहिले यि संसारके रचना हुइल कैह्के हमार हिन्दु शास्त्रमे लिखल बा । यि संसारके रचना कृष्ण भगवानसे हुइल कैह्के हमार हिन्दु शास्त्रमे कैह्गैल बा । पहिले सुरुमे शुन्य अन्डाकारमे रहे जहाँ कुछ् नैरहे । जब पृथ्वीके रचना हुइल टे यि संसार बरा सुन्घुर डेखाए । जोन हराभरा जंगल, चिरैंचुरुगंन, लडिया झर्नासे भरल पृथ्वी हेर्ना लायकके बनगैल रहे । भगवान मानव जाति ओइनहे सबसे सुन्दर उपहारके रुपमे प्रकृतिहे डेले बा । जहाँ थारु जाति किल नैहोके औरे जातिनके मनैफें रमैना करठैं । हमार पुर्खा ओइनके समयमे जंगलमे बैठैं । पहिले हमार आजीआजा ओइने प्रकृतिमे रमैटि अपन जिन्गि जिइँट्् । प्रकृतिमे रहल चिज खाके रमाइठ् ।

ढर्टीमे जिन्गि जिएक् लाग भगवानसे हम्रिहिनहे बहुमुल्य ओ किम्टि उपहारके रुपमे प्रकृति मिलल बा । जिन्गि जिएक् लाग उपलब्ध सक्कु संसाधनसे प्रकृति हमार जिन्गि जिएक लाग सजिल पारडेले बा । एकठो डाइ जस्टे लालन, पालन, सेहारसुसार करठ् ओस्टेक प्रकृतिसे हम्रिहिनहे मिलठ् । हम्रे सक्कु जहनके दायित्व हो कि प्रकृतिहे डिलसे धन्यवाद डेना । हम्रे बिहन्नी उठ्के शान्त वातावरणमे जाके प्रकृतिके मिठ आवाज सौन्दर्यताके आन्नद लेहे सेक्ठी । यि संसार प्रकृतिक सुन्दरतासे सुसोभिट बा । जेकर रस हम्रे जोन समयफें लेहे सेक्ठी । पृथ्वीके भौगोलिक सुन्दरता बटिस् । जिहिन स्वर्ग ओ शहरके बगैंचाफें कठैं । मनै दुःख लागठ् भगवानके डेहल यि सुन्दरताहे आझके टेक्निक उन्नती ओ मानव जातिनके अज्ञानताके कारण प्रकृति नाश हुइटि जाइटा । प्रकृति वास्तवमे हमार डाइ हस हो । जोने कब्बुफें नोक्सान नैकरठ् । हमार रेखडेख पालनपोषन करठ् । बिहन्नी उठ्के विना चप्पल लगाके घुम्लेसे हमार स्वास्थ्यके लाग मजा रहठ् । एकर संगे टमानसे घाटक रोगसे डायिकिटिस, हृदयघाट, उच्च रक्तचाप, लिवर सम्बन्धी, पांचन सम्बन्धी समस्या, संक्रमण, डिमागी समस्यासे डुर करठ । यि हमार स्वास्थ्यके लाग मजा बा । हम्रे चिरैंचुरुगंन ओइनके मढुर आवाज, मन्ड हावाके खनखनाहट, टाजा हावाके सनसाहट, बह्रटि रहल लडियाके आवाज हम्रे बिहान बिहान सुन्ठि टे प्रकृति कलक का हो कना बुझठि । टमानसे कवि, लेखक, ओ मनेनहे अपन डिमाग, सरिर आउर आत्माहे उर्जा युक्त बनाइक लाग टमान जसिन जहाँ शान्त वातावरण रहठ् ओ पर्वतमे योग करठ् डेखजाइठ ।

प्रकुति सक्कुनके लाग एकठो महत्वपुर्ण ओ अविभाज्य अंग हो । सुन्दर प्रकृतिके रुपमे भगवानके सच्चा मैयाँसे सक्कुजे ढन्य बटैं । भगवानसे मिलल् उपहारहे हम्रे खेर नैजाइ डेना हो । टमान जसिन प्रसिद्ध कवि, लेखक, ओ कलाकार ओइनके सबसे मन परल विषय कलक प्रकृति हो । जोन मानव ओइनहे बहुमुल्य उपहार स्वरुप डेहल बा । प्रकृति कलक सक्कु हो जोन हमार आसपास बा । जस्टेक ः पानी, हावा, भुमि, जंगल, पहार, लडिया, सुर्य, चन्द्रमा, झर्ना, खोल्हवा, आकाश, समुद्रके संगेसंगे सजिव ओ निर्जिव सक्कु प्रकृति अन्तरगत परठ् । भगवानके सक्कुुनके जिन्गिमे अपन शक्ति आउर विशिष्तता उपलब्धता कराइल बा । एमने एकर टमान रुप बटिस् । मौसम डर मौसम ओ मिनेट डर मिनेट बडलटि रहठ् । जसिक समुद्र बिहानके समय हरितकण रंगके डेखजाइठ् । मने डुपहरके समय चम्कल निलो जसिन डेखजाइठ् । आकाश पुरा दिन अपन रंग बडलटि रहठ् । सुर्योडयके समयमे हल्का लाल केरनि समयमे आँखी चौघियइना नीला रंग, चमकडार लौरंगी दिन डुब्ना समयमे ओ रातके समय भन्टा रंगके डेखजाइठ् । मानव ओइनके स्वभावफें प्रकुति हस बडलठिन् । जस्टेक खुसी, आर्शावादी सुरुवात बरसातके समय ओ बसन्तके समय ।

अगर हम्रिहिनहे सडा दिनके लाग स्वास्थ्य ओ खुसी रना बा कलेसे स्वार्थी ओ प्रकृतिसे जोन गलत उहिनहे रोगठाम करे पर्ना हो । हमार प्रकृतिमे असर पारटी टे हमार ग्रह पृथ्वीफें नैमजा असर परेजाइ । अझकलके जौन यन्त्र बा उ यन्त्र सन्तुलित प्रयोग करके बोटबिरुवा ओइनके संरक्षण ओ संर्वधन करे पर्ना जरुरी बा । अस्टके मानव जाति ओइने प्रयोग कर्ना जट्राफें प्रकृतिसे डेहेल उपहार बा ओकर संरक्षण करे पर्ना हो । अन्तिममे यी सक्कु हम्रे अपन हाँठसे मासडेबी टे अइना दिनमे समस्या परि । यी सक्कु हम्रे उपयोग कर्ना हुइलेक ओरसे एकर संरक्षण कर्ना सक्कु जहनके दायित्व फेन हो ।
शान्ति चौधरी


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