शुक कार्तिक २३ , २३ कार्तिक २०८१, शुक्रबार| थारु संम्बत:२६४७

थारुनके भोजम् हर्डिक महत्व

थारुनके भोजम् हर्डिक महत्व

थारुनके भोजम् हर्डिक महत्व

सक्कु गाउँ ठाउँमे हर्डिक महत्व बा । हर्डि जसिन ठाउँमे फेन होजाइठ् । हर्डि टिना टावनहे सोहाउँन करैना किल नै बिरुवा ओ सगुनके रुपमे फेन मानजाइठ् । बैडवा लोग कठंै हर्डि बिसहे फेन काट्डेहठ् ओ चोट लागल ठाउँमे हर्डि लगैलेसे सुवइना मेट्जाइठ् । अस्टके सर्डि लागलमे हर्डिक् चट्नी खैले पिलेसे चोखाजाइठ् । हर्डिक कहकुट बा हर्डिक रंग कबु ना छुटे, हमार नाट कबु ना छुटे । यीहे मारे भोेजमे हर्डिक महत्व बा । हर्डि सगुन मान गैलक ओरसे भोजमसे लेके पर्छना सम हर्डिक प्रयोग कैजाइठ् । ठकौनी खैना समयमे हर्डिक गाँठ ढारल रहठ् ओ चाउर आमक् पट्टा फुला डारके डिया सुँगाइल रहठ् । यी समयसे लावा नाट जोरना सुरुवात फेन हुइठ् । कौनो फेन भोजक् ठेकान पर्नासे आघे कर्ना कार्यक्रम हो । यी कार्यक्रममे डुल्हक बाबा ओ गाउँक् मनै डुलहिक घर जैठैंै । जब डुल्हक बाबा ओ गाउँक मनै घरम् पैठे लग्ठैं टे चिप्पेसे हर्डि डारल पानी उलिड डेठंै । यी पानीहे करै पिना कह्जाइठ् । अस्टके हर्डिक प्रयोग नेउटा डेना काम फेन कैजाइठ् । हर्डिक गाँठ काटके जोरा बनाके नाटपाटन घर डेजाइठ् । मने आप हर्डिक नेउटा बट्ना चलन हेरागैल बा ।

जस्टक हर्डिक रंग नैछुटठ ओस्टके हमार नाट बलगर हुइठ् । टब ओरसे भोज लगन भर हर्डि रहठ् । हर्डिहे सगुन मानजाइठ् टबमारे भोज भर हर्डि हर चिजमे रहठ् । हर्डि सगुनके रुपमे डुल्हक डोलामे ओ डुलहिक डोलिम् ढारल रठिन ओ भोजहिक डेल्वामे ढारल रठिन । अस्टके डुलहिहे परछेबेर डुलहिक पछौटिम फेन चाउरके संगे हर्डि ढारल रठिन् । उ चाउर ओ हर्डि पर्छेबेर छोरठैं । असिके भोज भर हर्डिक महत्व बा । टर अबक् पुस्टाम् हर्डिक महत्व नैबुझके सगुन मान्जैना हर्डिक प्रयोग करे छोर सेकले बटैं । एकर असर हमार भोजमे ओ हमार पहिचानमे असर पुगटाँ । असिन चिजमे अब्बक पुस्टा ओइनहे गँहिरसे साेंचे ओ ध्यान लगाइ पर्ना जरुरि बा ।

संगम चौधरी
पुनर्वास २ कंचनपुर


error: Content is protected !!