अत्वार पुष ०७ , ७ पुष २०८१, आईतवार| थारु संम्बत:२६४७

थारुनके साझा संगठन कसिक बनाइ सेक्जाइ ?

थारुनके साझा संगठन कसिक बनाइ सेक्जाइ ?

विचार
थारुनके साझा संगठन कसिक बनाइ सेक्जाइ ?
वीरबहादुर राजवंशी

थारुनके स्वायत्त, स्वतन्त्र, स्थायित्व सक्कुनके सामुहिक अपनत्व हुइना खालके एक्केठो विकल्प भाषा, संस्कृति, इतिहास ओ साहित्यिक उत्थान मञ्च हुइ सेकि । लेकिन आझ नेपालके परिवेश ओ कार्यक्रम एकल अपनत्व किल लेना खालके विभक्त रहल अवगत जो बा । कि टे एकल व्यक्तिगत स्वार्थमे तल्लीन बटी, कि टे कोनोफे मनै, संस्था ओ पार्टीके कण्डम किल प्रयोग कर्ना ओ फेक्ना बाहेक प्रतिफल सन्तोष जनक नैडेखाइठ । जस्टे उदाहरणके लाग थारु कल्याणकारी सभा, नेपाल थारु राष्ट्रिय मुक्तिमोर्चा, नेपाल लोकतान्त्रिक थारु मोर्चा, नेपाल यि प्रतिनिधित्व कर्र्ना राजनीतिक पार्टीके भातृ संगठनके रुपमे परिचित बा । यहाँ हुँकरे कोनोफे गतिविधिमे जमल पानी जस्टे बनल बटैं । गतिविधि करलेसेफे पार्टीके निर्देशनमे किल नैकि समुद्रमे जमल पानी गदगदाहट जो हो । यहँ संगठनके स्वतन्त्र अपन पहिचान, अधिकार, कर्तव्य ओ दायित्व निर्वाह करल नैडेखाइठ । अपन राजनीतिक विचार, सिद्धान्त, कार्यदिशाा ओ कार्यक्रम सार्वभौम बनैना प्रयत्न करलफे नैडेखाइठ । ओहेमारे उल्लेखिट भातृ संगठन अपनहे उच्च चौडा छाटि बनाके व्यवसायीक आत्मनिर्भर स्वायत्त स्वतन्त्र रुपमे स्थापित करक लाग अभ्यास करे पर्ना हो ।
जबसम स्वतन्त्र आत्मनिर्भर अपन पहिचान सहितके भाषा, संस्कृति, इतिहास, साहित्यिक कलाहे साझा कनाइक लाग कोनो संघसंस्था, राजनीतिक दलके स्वार्थसे उप्पर उठके चेतना स्तरके मानव विकास हुइ पर्ना बा । यिहिन पुर्णरुपमे लोकतान्त्रिक प्रतिस्पर्धी बनाइबेर स्वीकार करे पर्ना बा । साझा दायित्व ओ कर्तव्य सम्झी समय परिस्थिति अनुकूल अपनहे रुपान्तरण कर्ना आत्मसंघर्ष ओ सम्बन्धित सरोकारवालाके संग अन्तरसंघर्षके शंकिर्ण सोंचसे मुक्त करे पर्ना बा । साझा सवाल अपन अपन आस्थावान संघसंस्था ओ राजनीतिक दल भिट्टर खुल्ला बहस करे सेकना आँट करे पर्ना बा । आझके परिवेशमे व्यक्तिगत अनुभुति करेबेर असिन प्रकारके नेता कार्यकर्ता कि टे पुर्ण समाजवादी उन्मुख हुइना डगरमे लगठैं कि टे सम्बन्धित सरोकारवालाके आघे निरीह वा दमित पराधिनसे मुक्त हुइल हुइ परी । अस्टे अवस्थाके सिर्जना करक लाग औरे जहन संग जोरे नैपरि, अपनहे अपन संगे जिटके टब जाके औरे जहनके आदर्श बने सेकबि ।
आझ एकात्मक प्रभुत्व जमाके परिवेशके परिप्रेक्ष्यमे मनैनके चरित्र प्रवृति मुताविक हुइल ओरसे उहिसे उम्कक लाग नैसेकना, नैचाहके अउरे जहन डोस डेना चलन बा । अस्टे चरित्रसे विश्वमे, समाजमे, संघसंस्थामे, राजनीतिक दलमे, परिवारमे ओ व्यक्तिमे कम बेसि सक्कुनमे यहाँ सिकार हुइल बटी । आब हम्रे सक्कु सामुहिक साहस, आँट ओ प्रतिबद्वता जाहेर करि । देश, दुनियाँ, समाज, परिवार, व्यक्ति, संघसंस्था,राजनीतिक दल, सक्कु रुपान्तरणके बाहक बन्ना प्रयास करि ।
विचार, राजनीति, सिद्धान्त, नीतिगत सवाल, निश्चित उद्देश्य प्राप्तिके लाग ओ व्यवहारिक कार्यान्वयन राज्यके अनुभुती हुइना खालके नीति निर्देशन ओ जीवन्त रुपान्तरण हम्रे सक्कुजे नेपाली नागरिकके अपनत्व हुइना प्रकारके सहभागीताके तालमेल आवश्यक बा । नेपालमे आदर्णिय नेता मोहन बिक्रम सिहंके नेतृत्वके नेकपा मसाल पार्टीगत नीति राष्ट्रिय जनमोर्चाद्वारा राज्यके प्रतिनिधित्व करैटि आइल बा । यि तरिका जो वास्तविक सन्तुलन मिलैना प्रयत्नसिल बा । यि वामपन्थी दलनके नीतिगत सैद्धान्तिक आधारमे वर्गीय, जातीय, क्षेत्रीय, लिङ्गीय ओ पेसागत हकहितके संगठन राज्यके संवैधानिक अंग (व्यवस्थापिका, कार्यपालिका ओ न्यायपालिका) ओ राज्यके हरेक निकायमे उहे प्रकारके पहिचान सहित जनसंख्याके आधारमे भाषा, संस्कृति ओ इतिहासकेफे प्रतिनिधित्व करे पर्ना हो ।
एकर लक्ष्य प्राप्त करक लाग सामुहिक साझा कर्तव्य अपन दायित्व सम्झके व्यक्तिगत जीवन संग दिर्घायु ओ दुरदर्शी रणनीतिके बाबजुद विकेन्द्रित प्रतिभा संस्थागत जनचेतनामूलक लेख, रचना, कथा, कविता, इतिहास, संस्कार संस्कृति, भाषा, भेषभुषा, चालचलन, रितिरिवाज, नाटक, गजल, मुक्तक, गीत, फिल्म, नाच, अन्तरक्रिय, गोष्ठी, भेला, सम्मेलन मार्फट पहिचान झल्कना सामाजिक सन्जाल ओ पत्रपत्रिका, एफएम, रेडियो, टिभि, भिडियो, अनलाइनमे प्रकाशित लगायत टमान मिडियाके उपयोगद्वारा समाज सुसुजित हइना साकारात्मक पक्ष हो । ओकर लाग लाभ सक्कु सार्वभौम सर्वाङ्गिण बिकासके लाग समय परिस्थिति अनुसार परिस्कृत व्यवस्थित सक्कुनके अपनत्व हुइना स्वीकार कर्ना हुइ परठ ।
पाँचौं राष्ट्रिय थारू साहित्य सम्मेलन कर्णाली प्रदेश थारु होम स्टे नयाँ गाउँ सुर्खेतमे २०७७ चैत २१ ओ २२ गते टमान ठाउँसे स्रस्टा, प्राज्ञिक विद्वानके सामुहिक छलफल दस्तावेज निर्माण करके राष्ट्रिय स्तरमे अभिव्यक्त कर्ना संस्थागत थलोके स्थापनाके १० बुँदे घोषणा सहित उसरल । उहे मुताविक यि कार्यक्रमके प्रारम्भ हुइल बा ।
यहाँ उपस्थित टमान प्राज्ञिक व्यक्तित्वनके स्रस्टा, विधा, अख्यान सामाजिक, साँस्कृतिक, शैक्षिक, बौद्धिक, जीवन सुधार उन्मुख रोजगारी, व्यवसायीक, जनचेतनामूलक ,भाषिक विकास हुइना उद्घोष करल बा । पाँचौं राष्ट्रिय साहित्यिक सम्मेलन क्रमिक रुपमे रुपान्तरण ओ संस्थागत सर्व स्वीकार्य हुइटि आइल बा । ओकर लाग राष्ट्रिय ओ अन्तर्राष्ट्रिय साकात्मक प्रभाव संगठित उत्तरदायी बनसेकल बा । अस्टेके कार्यक्रम देशव्यापी चेतनसील वर्ग विद्वानके संगठित कृयासिल ओ निर्णयाक संघर्षरत रहल अवस्था बा । ओम्ने कंचनपुर जिल्लाफे ऐक्यबद्धता जाहेर करल बा । यहे कार्यक्रमके आयोजना थारु लेखक संघसे करल, सहआयोजना सुर्खेत थारु कल्याणकारी सभा ओ व्यवस्थापन सुर्खेत जिल्लासे कैगैल रहे ।
इ जनचेतनामूलक कार्यक्रमहे निरन्तरता ओ पुरिस्कृत हुइटि आइल बा । यि कार्यक्रममे उपस्थित जिल्लाके जुझारु ओ प्रतिबद्वता थप हौसला प्रदान करले बटैं । राष्ट्रिय थारु साहित्यिक कार्यक्रममे सहभागी हुइना क्रममे बाँकेके गाभर भ्याली होम स्टेके बास यहाँ रहल उपभोक्ताके जीवन स्तर सुधार कसिक हुइटिन ? कसिक होम स्टेके सम्भावना बर्हल ? कना सवालमे बाँके राष्ट्रिय निकुञ्ज, कोहलपुर बजारके कोलाहलसे शान्त रमणीय, स्थानीय संस्कार संस्कृतिसे लोभ लगटीक बनाइल बा । कर्णाली प्रदेश थारु होम स्टे नयाँ गाउँ सुर्खेत, पातलगंगा थारु होम स्टे सुर्खेत, विरेन्द्रनगरके प्राकृतिक स्थल, काँक्रेविहार मन्दिर, बुलबुले ताल, संस्कार संस्कृति यहाँके आकर्षक केन्द्र हो । उ ठाउँके आर्थिक, शैक्षिक, मानव सभ्यता, साँस्कृतिक, रहनसहन भेषभुषाके झलक मनमोहक संगे कम लागतमे यहाँके प्रकृति सोहैना उपयोगके सिकाइ बनल बा । उ कार्यक्रमके एक काम डुइ वडा कहल जस्टे सुर्खेतके छिन्चुसे सल्यानके धाम कालीमाटी गाउँपालिका हुइटि दाङ चखौरा थारु साँस्कृतिक संग्रहालय थारु समुदायके उत्पति डेउ डुर्गन, जंगली युगसे आझ समके बिकास क्रम खानपिन, आभुषण, राजा दङ्गिशरणके अवलोकन करके सुकौरा राजदरबार ओ दर्शन कर्ना मन्दिर फेन हेर्ना लायक बा । यहाँसम पुर्खौली स्थान दाङके भ्रमण अवलोकन करके आगैल् ।
ओरौनीमे कंचनपुर जिल्लासे गुलरिया, महेन्द्रनगर ओ काठमाडौके सहभागीता सहित १३ जहनके उपस्थितिमे कविता, गजलकार, लेखक, प्रस्तोता ओ शुभेच्छुक जनप्रतिनिधि लगायत व्यक्तित्वके चासो रहल बा । अइना २०७८ सालके यहे कार्यक्रमके स्थान घोषित कैगैल बा । अस्टे विशेष महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक कार्यक्रममे आयोजकके नेंउटा स्वीकार कैके अइना संस्कृतविद, भाषाविद, साहित्यकार, आख्यानकार, लेखक, मिडियाकर्मी, टमान प्रकारके व्यवस्थापक सुर्खेत बासि ओ उपस्थित सक्कु जहन धन्यवाद ओ मन भरके सम्झना ।
कृष्णपुर–६ कंचनपुर


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