शुक चैत १६ , १६ चैत्र २०८०, शुक्रबार| थारु संम्बत:२६४७

असारी पुजाके महत्व

असारी पुजाके महत्व

असारी पुजा हमार परापुर्खनके पालासे चलटी आइल हो । थारु समाजमे डेंउटा पुज्ना चलन बा । डेसबन्ढीया गरवा धनी राना हे बनाइल बटैं । असारी पुजा धनी राना पुजठैं । ओस्टेके असारी पुजा असार महिनामे पुजना चलन बा । असारी पुजा दुइ मेरके पुज्ठैं । असारी पुजामे सुरा ओ मुरघीके बलि डेके रोटी पकाके, खिचरी भात बनाके ठनवाँमे जाके पुज्ना चलन बा ।
असारी पुजा खास कैके थारु समाजमे मनैना एक किसिमके पुजा हो । असारी पुजा जैसिकफे हुइ पर्ना मान्यता थारु समाजमे डेखजाइठ । असारी पुजा हमार पुर्खा हुकनके पालासे चलटी आइल पुजा हो । यि पुजाके अपन अलग्गे महत्व बटिस । थारु समाजमे खेटि बहुटसे मनै कर्ठ । हमार खेटीपाटी मजा होए कना हुकनके चाहना रठिन । अपन खेटि मजा होए कना उदेश्यलेफे टमान मनैनके आस्था रठिन ।
असारी पुजामे लग्ना सामान
सक्कर १ किलो
सखवा पट्टाके डोना
आठ मिटर लाल लुग्गा
सौ ग्राम कपुर
आधा किलो गरि
एकठो रेना
एक जोर चुरीया ओ रेबन
असारी पुजा काहे करठैं
साट ढज्जा ओ एकठो बरा ढज्जा लगाके आठँ ठो ढज्जा पुज लैजिठ । अस्टे यि सक्कु सामान लेके ढन्वामे पुज जैठ । ढन्वामे पुजके अ‍ैठ टे घर एकठो मुर्घा ओ छाकि डेठैं । अस्टेक सक्कु गाउँके मनैं असारी पुजा टे मर्ठ । तर किउँ बलि डेके पुजा कर्ठ टे किउँ बिना बलिके पुज कर्ना चलन बटिन ।
असारी पुजा एकठो असिन पुजा हो जोन गाउँके लाग करजाइठ । असारी पुजाँ खास कैके गाउँके गुरुवा ओ गाउँक् डेसबन्ढीया मिलके ठनवाँमे पुजा कना चलन बा । असारी पुजा खास कैके हमार खेट्वा बारी मजा होए कना मनसायसे असारी पुजा कैजाइठ । पुजा करेबेर गाउँक गुरुवा पुजा करके डेसबन्ढीयाहे गुरवा खेलैना चलन बा । पुजा कैके डेंउटा हुकन सब चढाके बचल पुरी रोटी ओ खिर भात सक्कु गाउँक मनैन बाँट्के ठनवाँमे खैना चलन बा । सुरीक सिकार ओ मुरघीक सिकार भलमन्साके घर लानके सक्कु गाउँक किसनवाँ मिलके भात पकाके खैना चलन बटिन । असिके असारी पुजा समापन हुइठ । धन्यवाद
रविता चौधरी
rabitachy63@gmail.com


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