पहिले टे सिरिजल, जलथल ढरटी ।
सिरिजीटे गइलाहो कुसकही डाभ ।।
हुइनाटे मै गल्ती फेन हो सेक्ठुँ । लकिन मही महा अचम्भ लागठ कि यी पृथ्वीके उत्पत्तीके पुरा इतिहास हमार पूर्खनहे कैसिक मुहखगरे रहिन । हमार थारु जात कौन दुनियाँँसे बैठ्के पृथ्वीक् उत्पत्तीके रम्टा हेरट रहल हुइहीँ ? अभिनसम् यी ढरटी सिर्जलक् बट्कुही बोकल अस्टिमकीक् गीत गाके ढेउरहस् मनै रात बिटा डेहठाँ । सिठमारके सुटल सुभागी रातहे किरनके किरकिर संगीत ओ एक रहान गीतसे चीरके दुरदुर गाउँ टक तरंगीत करडेहठाँ । कट्ना सोहावन सुन मिलठ । उ राग ……..। फुरेसे उ दिन कैलालीक् लालपुरमे भलमन्सा जीके घरसे आइल अस्टीमकीक् गीत, मै हस् निन्गड्डर मनैहे जगाके कनकनार कैडेहल । वास्तवमे हमार कोइ पुर्खा जरुर पृथ्वीक् सिर्जनाके दृश्य डेखले रहल हुइ टब्बे टे यी गीत सिरजाइल हुइ । यी बाट प्रमाणीत करठ कि हमरे थारु जात आदिम मानव सभ्यताके जरजरहिक् डेखना प्रमाण हुइ ।
अस्टिमकीक गीतके अनुसार गौरा पार्वती अन्सही हुइल समयमे लरचक् साग खैनास लगलिन टे इसरु महादेव लरचक सागके खेती कर्ल । टब्बेसे खेती कैर्ना सुरु हुइलक जान परठ । यिहिसे आघे हम्रे का खाइट् रहल हुइबी ? जरुर फेन हम्रे पानीमे रहना जीव ओ वनस्पतीहे अपन अहारा बनाइँट् रहल हुइबी । बनवाँमे पाकल खेझरी, बैर, टाटा, जाम, कोसम, ठाकल, डाखी जैसिन टमान फलफुल ओ असराइक् फारा हमार अहारा रहलहुइ । एकर साथमे सुटही घोंघी, गेंक्टा, मुस, मच्छी, अन्डा फेन हमार अहारा रहल हुइ । मेरमेरके कृषी बालीके अनुसन्धान ओ आविस्कार हुइल यी जबानामे फेन अभिनसम् यी हमार मिठ अहारा रहटी आइल बा । भुखाही परल समयमे सखवक् असराइ पिसके ओकर भौंरी पकाके डाइ बाबन अपनहे खवाके जिवैलक् बात कैलालीक् रतनपुरके रामकुमार जीके डाइ बाबा बटैठाँ । आब टे वहाँके घरडुवारमे सम्पन्नताके हाल हवाल पुँछे नैनपरी । बिशेष कैके पोषण स्वास्थ्यके हिसावसे यी आहारा महत्वपूर्ण मान जाइठ । जस्ते कि भर्खुनके लरकोहरी महिलनहे रगतके कमीसे बचाइक लाग घोंघी खाइक डेजाइठ् । घोंघी क्यान्सर रोग प्रतिरोध क्षमता शरीरमे विकास कैके क्यान्सरसे बचाइठ । विज्ञान सावित कैडेले बा कि शरीरमे सबसे ज्यादा क्यालोरी शक्ति सुरीक सिकारसे मिलठ । अस्टेक मुसनके सिकार खैलेसे यौन शक्ति बर्हठ कहना कहावट बा । मच्छीनसे ओमेगा ३ मिलठ । जोन हमार रीरमे कोलेस्ट्रोल हुइना से बचाइठ । लिरौसीसे बिना पैंसक् मिलना अइसिन अहारा गरीब मनैनहे जिना सहारा डेले बा ओ एकर उप्पर हमार जल्मट्टीक अधिकार फेन बा ।
हुइना टे आझ अपनहे सबसे चलाख ओ सभ्य मन्ना अन्य जातके मनै घोंघी, मुस, गेक्टा टमान खैलक कारण हमरहिनहे फुहर कैहके छिछ्वैठैं । लकिन यिहीहे नुकके खाइक फेन पाछे नैपरठ । पुख्र्यानी भासाहे बडलके आधुकि भासाके प्रयोग कैके आझ हमरे क्षणिक् आम्दानीके लाग अइसिन खानाके तीब्र रुपमे प्रचार प्रसार फेन करे भिरल बटी । खास कैके महोत्सवके मौका छोपके एकर प्रचारप्रसार ओ व्यापार सुरुवात हम्रहिनसे हुइल बा । अझकल लमही, भालुबाङ्ग, धनगढीक् बजारमे ८० से लेके १०० रुप्यासम प्रति किलो घोंघी बिक्री हुइठ । यी खाना खाइक लाग गैरथारुनके भिर डेखजाइठ महोत्सवमे । अन्दीक झोर÷निघारके साथ घोंघीक टिना ओ सुरीक सिकार कट्ना मिठ मिझ्नी । अभिन टे हमार मिझ्नी पसलमे मुसक् पकवा ओ गेक्टनके फुलौरी महवारीसंगे कुरुम कुरुम । ढिरेढिरे आब थारु परिकार ओल्टारसे डिठार ओर नजर आइठ । पत्रपत्रिकामे फेन एकर खबर अइना क्रम बहर्टी बा । पत्रपत्रिकामे थारु खाना आब सबके साझा खाना हुइटा कहिके दावी हुइटी बा ।
गैरथारु जात यी खाना ओर परचटी बटैं । लकिन एकचो साेंचही परना बा का यी घोघी, मुस, गेक्टा सड्डीमान पर्याप्त मात्रामे मिलहीं…..? काल्ह परचल गोहटी यिहीहे बचैहीं…….?
आधुनिक कृषि प्रणालीमे विषादी प्रयोगके साथ तीब्र वन विनाश हुइटी गैलक अवस्थामे वातावरण ओ पारिस्थितिक प्रणाली फेन बिग्रटी जाइटा । दिन प्रति दिन जलवायू परिवर्तन हुइटी जाइटा । एकर कारण फेन हमार यी मेरके खानामे कमि अइटी बा । यी अवस्थामे का गरिबीसे सटावा पाइल हमरे लिरौसी यी मेरके खाना पैवी ? उ अवस्थामे हमार जीवन निर्वाहके अवस्था कैसिन हुइ ? सोंचे पर्ना हस् लागठ । कहुँ हमरे आय आर्जनके नाउँसे प्रचारप्रसार कैके औरे जनहनहे परच्वाइठ टे नै हुइ ? महि लागठ हमार जल्मट्टीक अधिकार रहलक यी मेरके खानाहे जोगाइ पर्ना जरुरी बा । मै टे कनास लागठ ।
से घोंघी, नो सीफूड ।
से पकुवा, नो सेकुवा ।।
से सुंगुर, नो बंगुर ।।
आउर फेन कनास् लागठ । हे भगवान हमन अइसिन मिठ खाना डेलो । आब ओइन हे ना परच्वाएउ ।
धन्यवाद ।
भाष्कर देव चौधरी
डेउखर, दाङ
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