कला ओ चेतनसलि विकास सँगे सँगे हम्रे निरन्तर आघे बहर्टि बटी । आधुनिक कला ओ साँस्कृतिक कलाके पहिचान करक लाग आघे बहर्टि बटि । हमार थारुनके पहिचान करेक लाग आघे, आघे बहर्टि बटि । हमार थारुनके कला, संस्कृतिक कला का हो ? हमार पहिचान का हो ? हमार पहिलक पुस्टाहुँकरे डाइबाबा, बुडिबुडु कर्टि बटंै । हमे्र अपन कला कैसिके प्रस्तुत करे पर्ना का हो टे ? महिन लागठ हमे्र पक्काफें अपन कला, सांस्कृतिक बारेम कबुफें सोचले नैहुइटी ओ कल्पनाफें नैकैले हुइटी । हमार सँस्कृतिके पहिचान औरैटि जाइटा । टबेमारे थारु कलाके चेतनसिल प्राणी हुइटी ।
अपन कला, सांस्कृतिक, लवाइखावाइ पहिरनहे कैसिके चेतनसिल कनै ओ थारु समुदायहे कैसिके आघे जाइ हमरे थारु । समाज कहाँसे कहाँ पुुगसेकल । टबेमारे समय ओ परिस्थितिके प्रविधिक विकास सँगे हम्रफें परिवर्तनसिल हुइटि जाइटि । यि हमार सकारात्मक पक्षसे साेंच्ठी । आझके अवस्थामे हेर्ना हो कलेसे कला हमार हाँठ, हाँठमे बा । कलाहे कैसिक बाहेर निकारी टे हम्रे थारु । थारु कला सामाजिक संजाल जस्टे फेसबुक, युटुब जसिन थारु कला सामाजिक रुपमे प्रयोग हुइल बा ओ प्रयोग कर्टिफें रबि । हमरे थारु हुइटि थारु कला डेखाइ कैके कोनोफें युवा हुक्रे नैउठ्ठी टबेमारे थारु कलामे चेतनसिल बनि हमरे थारु । समय ओ परिस्थितिके परिवर्तन सँगसँगे परिवर्तनफें हुइपरठ् । मने सकारात्मक लाग परिवर्तन हुइ परठ ओ हमे्र पुर्खा बुडुबुडीके कला पहिचान परिवर्तन करे नैपरठ । आझके अवस्थामे हेर्ना हो कलेसे । कला अपन अपन हाँठमे कला बा । उ कलाहे व्यवहारमे परिवर्तन करके कसिक बाहेर लन्ना कैके सोंच्ठी । हमे्र थारु अपन कला संस्कृतिके पहिचान करेक परठ । थारु समुदाय मनैनके कला, संस्कृति, भेसभुसा, हरेक चिजके क्षमता बटिन । मेहनटी बटैं । व्यवसायिक रुपमे हमे्र आघे जाइ नैसेकल हुइटि । टबमारे थारु समाज पाछे परल बटि कि कना महसुस महिन हुइठ । पहिल थारु गाउँमे प्रवेश हुइल बेला सक्कुजाने अपन अपन कला पहिचान हाँठमे सक्कु जहनके हाँठमे मोबाइल ओ घोट घोट कपरा लगैठैं ।
थारु समुदाय खास कैके कला एक्ठो पेशा पहिचान हो । थारु समुदायमे जन्नी (महिला) मनै गर्मी महिना बैशाख, जेठमे अपन सीपहे व्यवहारिक रुपमे प्रयोग करठंै थारु समुदायमे गर्मी महिनाके समयमे फुर्सद मिल्लेक ओरसे अपन हस्तकला जस्तट ढकिया बिन्ना, गोन्ड्री बिन्ना, बिंरा भंगना, लेस बिन्ना जस्टे खालके सिप गर्मी महिनामे करठंै । पुरुषके काम सुप्पा बिन्ना, डिलिया बिन्ना, छिटुवा बिन्ना, डौँरी बट्ना । छत्री बिन्ना, काम पुरुषके गर्मी महिनामे करठंै । अझकल यी असिन सिपके काम कहाँ गैल टे ? टबेमारे कबुकबु कहोरे कहोरे असिन खालके हस्तकला चेतनसिल हुइना बा । पहिल हस्तकलामे व्यस्त रहना थारु समुदाय व्यक्ति हुक्रे आधुनिकता सँग संगे सामाजिक संजालम व्यस्त रहल डेख्जाइठ् । थारुहुँकरे नेपालके तराइ क्षेत्रके पुरुष झापासे पस्छिउँ कंचनपुर समके २० जिल्लामे विशेषता भित्री मधेशमे बसोबास बा । यी थारु जाति नेपालके आदिवासी जनजाति मध्ये थारु समुदायक अपन संस्कृति, रहनसहन रीतिरिवाज भाषा, संस्कृति समेत प्रचार प्रसार हुइल बा । अस्टके हमे्र जहाँ जोन अवस्थामे बटि, जुन ठाउँमे बटि अपन पुर्खाके सिप सिखि ओ कला चेतनसिल बनि । धन्यवाद ।
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