मंगर बैशाख ०४ , ४ बैशाख २०८१, मंगलवार| थारु संम्बत:२६४७

गोनके गोन्डरी

गोनके गोन्डरी

परम्परागत रुपमे चलन चल्टीमे अइटी रहल हमार थारु समाजके पुर्खौली सम्पत्तिके रुपमे रहल हमार गोनके गोन्डरीफें एक हो । पुर्खनके समयसे चल्टी आइल टमान मेरिक सीपके काम हमार थारु समाजमे डेखा परठ । हमार थारु समाजमे समयके सदुपयोग कर्ना काम पहिलेसे चल्टी आइल बा ।

हमार थारु जातिमे बर्खाके समयमे बहुत मेरमेरइक चिज बनैना काम करठैं । जस्ते कि खेतीपातीके समय सेकके जन्नी मनैं ढकिया, बेना, गोन्डरी बिंरा भंगना ओ घरक् काम कर्ना करठैं । सावन भदौंके घाम अट्रा जोरसे रहट कि पानीमे डुबल रहुँ जस्टे लागठ । पहिलेके समयमे हमार पुर्खा ओइने जुर पानी कसिक पिइ, जुरजुरमे कसिक सुटि, कहिके अपनिहि उपाय निकारके बनैना साेंच बनाइल हो । यी गोनके गोन्डरीके हमार थारु समाजमे बहुत ज्यादा महत्व बा ।

गोन्डरी बनाइक लाग सुरुमे गोन चाहठ । गोन टलुवा, पोखरी, पानी जम्ना ठाउँ सिमसर क्षेत्रमे मिलठ् । आउर केउ मनैं अपन घरके नलके आँजर पाँजर खटैहियामे लगैले रठैं । गोन्डरी बनाइक् लाग गोन हे काटके नानके सुखाइक परठ । दुई तीन दिन घाममे सुखाइ परठ । सुखाइल गोनहे गोन्डरीके आेंरी डारक् लाग सुखाइल गोनहे ठारेठोर पानीसे भिजाइक् परठ । पानीसे ठोरठोर भिजाके गोनहे ओंरी टरटी ढिरेढिरे हाँठसे बिन्टी बिन्टी गोरासे डाबके मिलैटी गोन्डरी बनैठैं । हमार थारु जातिमे घामके महिनामे गोनके गोन्डरीमे सुट्ना चलन पुर्खाके समयसे चल्टी आइल बा पहिले हमार देश विकाससील नैरलक् ओरसे बिजुली, वत्ती, विद्युत नाइ रहे । एकठो गोन्डरी बनाइक लाग १÷२ दिन सम समय लागे सेकठ । पानीसे बचाइ सेक्लेसे लम्मा समय सम टिकाइ सेकजाइठ् । गोन्डरी घाम छेंक बेठक् लाग, अंगनामे सिट्राइक् लाग खटिया, पाल्हीमे बिछाके अराम करे सेक्जाइठ । पहिले पहिले अपन लर्कापर्कनहे गोनके गोन्डरीमे सुटैना चलन रहे ।

जब हमार थारु समाजके घरमे पहुना अइठैं टे गोन्डरी बिछाके खाना खाइ डेना चलन बा । मने अझकल इ चलन ढिरेढिरे हेरैटी गैल बा । माटीक् करुवामे जुर पानी पिना ओ गोनके गोन्डरीमे सुट्ना चलन हमार पुर्खनके पालासे रीत लागल बा । पहिलेक समयमे लर्कापर्कन घाम ना लागिन कहिके गोन्डरीमे सुटाँइट् । अब्बेके समयमे परम्परागत हमार थारु समाजके चालचलनमे कुछ परिवर्तन आइल बा ।


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