शुक बैशाख १४ , १४ बैशाख २०८१, शुक्रबार| थारु संम्बत:२६४७

मुक्त कमैया थारु, परम्परागत पेशा ओ प्रभाव

मुक्त कमैया थारु, परम्परागत पेशा ओ प्रभाव

कमैया प्रथा पश्चिम नेपालके दाङ से कंचनपुर सम फैलल डास प्रथा जस्टे हो । कमैया विशेष कैके घरके काम ओ खेतीपाती कामके लाग ढर जाए । कमैया बैठ वेर मुक्त कमैया थारुनके अवस्था एकडमै नाजुक रहे । घर खर्च, गास वास कपास सबकुछ जमिन्दार ओ मालिकके भर रहे । कमैया बैठ वेर मुक्त कमैया थारुनके जिवन मालिक ओ जमिन्दारके इसारामे चलट रहे । ओइने एक प्रकारके बधुंवा मजदुर जैसिन रहैं । मुक्त कमैया थारुनके जिवन बहुट कष्टकर रहे । यिहे कारणसे मुक्त कमैया थारु हुक्रे मालिक जमिन्दारके सेवा मे तल्लिन रहित, एक प्रकारके बधुवा मजदुर जैसिन । यिहे अवस्थामे मुक्त कमैया थारु हुक्रे खेतीपाती बाहेक अन्य कौनो काम करे नाइ पाइठ । और कोइ सिप तालिम ओ आयआर्जने काम करे नाइ पाइठ जेकर कारणसे ओइनके आर्थिक अवस्था और कमजोर हुइटी गइल, ऋण के उपर ऋण बह्रटी गइलीन, जहाँसे बाहिर निकरना असम्भव जस्टे हुइ गइल रहिन । अपन छाइछावन मजा शिक्षा दिक्षा देह नाइ पाइट । आझुक दिन सम सरकारसे कमैया मुक्ती घोषणा करल दुइ दशक.हुइल बा तर फे मुक्त कमैया थारुनके अवस्थामे मजा सुधार आइल नाइ विल्गठ । कोइ–कोइ मुक्त कमैया थारु लोगनके आर्थिक अवस्थामे मजा सुधार अइलेसे फेन ओइनके सामाजिक अवस्था विगतके जस्टे विल्गठ । वर्तमान समयमे मुक्त कमैया थारु हुक्रे दैनिक ज्यालादारी लेवर, इट्टा भट्ठा, ओ औरे निम्न दर्जाके कामदरके रुपमे काम करटी गुजारा करट बटैं । कमैया रहे बेर मुक्त कमैया थारु हुक्रे केवल खेतीपाती गइया भैंसिन्या किल हेरैं और ओहे काममे अभ्यस्ट हुइटी गइनै ओ हुई फेन गइनै जेकर कारणसे वर्तमान समयमे फेन विगतके समय जैसिन जिवन विटैना बाध्य हुइल बटै । मुक्त कमैया थारुनके परम्परागत पेशासे वर्तमान अवस्थामे ओइनके सामाजिक जिवन प्रभावित हुइल देखा परठ ।

नेपालके मध्यपश्चिम ओ सुदूरपश्चिम क्षेत्रके दाङ, बाँके, बर्दिया, कैलाली ओ कंचनपुर जिल्लामे कृषि मजदुरके रुपमे देशके अन्य क्षेत्रसे फरक किसिमले कमैया ढर्ना चलन रहे । नेपालमे अन्य कृषि मजुदर नगद ओ जिन्सिके रुपमे अपन ज्याला लैके काम करीत तर कमैया हुक्रे फरक किसीमले अपन ज्याला ओ पारिश्रमिक बाफट वार्षिक ज्यालाके रुपमे लैके जमिन्दारके घरमे काम करीट । ओइन हे खेतीपाती बाहेक अन्य घरायसी काम फेन करेक लाग जाए, अपन जग्गा जमिन नाइ हुइलेक ओरसे परिवारके पेत भरेक लाग ओ अन्य खर्चके लाग रकम अभाव हुइल ओरसे जमिन्दार साहु ओइनसे ऋण लेहत रहैं, मुक्त कमैया थारु हुक्रे निरक्षर रहिट, जन्दिारके आघे बोले डराइट । जमिन्दार साहुसे लेहल ऋण तिरे नाइसेकत सम उहे जमिन्दारके घरमे बरसौं बरस काम करेक पर्ना हुइल ओरसे यिहे मुक्त कमैया थारु हुक्रे पुस्तौं सम कमैयाके जिवन विटैना बाध्य हुइल रहिट ।

मानव सभ्यताके लाग कलंकके रुपमे रहल कमैया प्रथाके सुरुवात कहिया से सुरुवात हुइल कहना एकीन तिथि मिति किटान करे नाइ सेकले से फेन सन् १९६० मे नेपालमे औलो उन्मुलनसंगे कमैयाके सुरुवात हुइल कना विद्वान ओइनके अनुमान बटिन । यी अनुमान सत्यताके लग्घु काहे बा कलसे औलो उन्मुलनसंगे तराइके क्षेत्रमे तत्कालीन शासकहे फकैना फुस्लैना ओ राज्य सत्ता शक्तीके पहुंच हुइल लोगन बहुट धिउर उर्वर भूमि राज्यके तरफसे विर्ता स्वरुप प्राप्त करल ओ ओइसिन जग्गामे खेती कर्ना किसानहुक्रन कुछ लेना ओ डेना शर्तमे काम लगाइल प्रमाण फेला परठ । साथे अपन जमीनमे किसानके बैठेक लाग झोपरी बुकरा समेत बनाके देहित । पाछे पाछे दिन भर खेतुवाके काम करके बचल समय जमीन्दारके घरायसी काम करेक पर्ना फेन नियम लगाइल प्रमाण फेला परठ । परिवारके सक्कु सदस्य हुक्रे जमिनदारके निर्देशन बमोजिम काम करेक पर्ना ओ काम करल वापत मूलीसे वार्षिक रुपमे तोकल ज्याला मुक्त कमैया थारु लोग पाइट कलेसे औरजे खाना लुगा के हिसावमे चुक्ता हुइना ओ औषधी उपचार लगायतका आवश्यक चिजके लाग समय समयमा दिहल रकम ऋणमे परिणत करके आजीवन काममे बैठना बाध्य बनाजाए । अस्टेके जमिन्दार लोगनके जमीनमे पसिना चुवाके जमिन्दारके आम्दानी बढुइया परिश्रमी व्यक्ती ओ परिवार क्रमसः बधुवा मजदुर अर्थात् कमैयामे परिणत हुइ पुगलैं । अर्जुन गुणरत्ने (२००२) थारु लोगनके बारेमे असिक लिख्थ, नेपालके प्रत्येक राजनीतिक ऐतिहासिककालमे थारु लोगन महत्वपुर्ण योगदान देख मिलठ, चाहे पंचायतकाल होए ओ अन्य कौनो आन्दोलन । तर जब तराइमे मलेरिया उन्मुलन हुइल गैर थारु लोगनके बसाइसराइ तराइमे जोरडार रुपसे बढल । राजनितिक, आर्थिक दृष्टिकोणसे ओ जालझेलमे माहिर गैर थारु लोग तराइमे सोझ थारु लोगन उपर अपन हैकम बनैना सफल हुइलैं जौन कारणसे थारु लोगनके करीया दाग कमैया कमलहरीके समय सुरु हुइल ।

मुक्त कमैया थारु लोगन पर मालिक जमिन्दारनके अन्याय अत्याचार चरम अवस्थामे पुगती रहे जौन मुक्त कमैया थारु लोगनसे सहना क्षमता ओराइ लागल रहे । मालिक जमिन्दार ओ मुक्त कमैया थारु लोगन बिच बहुट दुरी हुगइल रहे । यीहे बिचमे थारु अगुवा लोगनसे वर्ग सङ्घर्षके आवश्यकता महसुुस हुइल ओ कमैया आन्दोलन सुरु हुइल । वर्ग सङ्घर्षके सिद्धान्तमे कार्ल माक्र्स (१८४८) सामाजिक वर्गके अवधारणा ओ वर्ग सङ्घर्षके सार्वभौमिकताहे ऐतिहासिक आधारमे स्पष्ट करटी पूँजीवादी व्यवस्थामे वर्ग सङ्घर्षके प्रक्रिया ओ यकर कारणबारे विस्तारपुर्वक स्पष्ट परले बटै । माक्र्सके अनुसार पूँजीवादी व्यवस्थामे अल्पसंख्यक पूँजिपति लोग श्रमिक लोगनके मनोमानी रुपसे शोषण कर्ठै । पूँजि ओ उत्पादनके साधनमे अपन स्वामित्वके कारण राजनितिमेफें पूँजिपति लोगनके प्रभुत्व रहठ ओ राज्य कानुनफें पुँजीपती लोगनके पक्षमे बोल लागठ ।

अस्टे परिस्थितिमे माक्र्स सर्वहारा वर्ग हे सङ्गठित करके वर्ग सङ्घर्षको चेतना उल्लेख कर्ना आवश्यक हुईना बटैले बटैं । कमैया मुक्तिके आन्दोलन हे फेन यीहे वर्ग सङ्घर्षके रुपमे लिहे सेकजाइठ । कमैया मुक्ती पाछे फेन मुक्त कमैया थारु लोग वर्गीय विभेदके सिकार हुइटी बटंै । हातमे सिप ओ लगानीके अभावके कारण मुक्त कमैया थारु लोगनके अवस्था विगतके जस्टे बा ओ परम्परागत पेशा हे नै अंगीकार कर्ना बाहेक और उपाय नाइ विल्गठ । यीहे कारणसे ओइनके जिवनशैली विगटके जस्टे बा । आर्थिक गतिविधिमे बहुट पछे परल मुक्त कमैया थारु लोगनके परम्परागत पेशा अपनैइना बाध्य हुइल बटैं जीहिसे मुक्त कमैया थारु लोागन पर आर्थिक निर्धारणवाद हावी हुइल बा । कमैया मुक्तीफे वर्ग सघंर्षके एक ठो रुप हो । कयौं बरससे जमिन्दार ओ पुँजीपति वर्ग लोगनसे शोषित हुइल मुक्त कमैया थारु लोग उ शोषण दमनके पराकाष्ठाहे चिरके अपन ओ परिवारके उज्जवल भविष्यके लाग अन्ततः संघर्षके डगर राजी, कमैया आन्दोलन कर्नै, कमैया बधुंवा मजदुरसे मुक्त हुइनै ।

कमैया प्रथा कहलेक विशेष करके कृषि कार्यके लाग जमिन्दार लोग मौखीक सहमतिमे मजदुर ढर्ना चलन हो । जमिन्दार लोग जो सायौं विघा जमिनके मालिक रहिट ओइने भुमिहिन ओ गरिब परिवारके व्यक्तिहुक्रन कृषि कार्य करेक लाग मजदुर राखै जिहीन कमैया कमैया कहजाए । कमैयाहुक्रे खास करके जमिन्दार लोगनके कृषि मजदुर हुइट् । कमैया लोग जमिन्दार लोगनके ऋणि रहैं जौन ऋण तिरेक लाग ओ कोइ ऋण तिरे नाइ सेकके बाध्यात्मक रुपमे कृषि मजदुर हुके बैठल रहैं । वास्तवमे थारु समुदायमे अपन संस्कृति ओ सामाजिक परिवेश भित्तर प्रयोग हुइल कमैया शब्द आदरसूचक मानजाए । कमैयाके अर्थ दास नाइ होके काम कर्ना मनैया हो ओ स्वभावैसे कमैया लोग बहुट मेहनती हुइलेक ओरसे कर्मशील परिश्रमी कहना अर्थमे प्रयोग हुइटी आइल कमैया शब्द समय क्रममे बधुवा मजदुरके अर्थमे प्रयोग हुइ लागल रहे । तत्कालीन समयमे फोकतमे श्रम लगैइना प्रथा, विर्ता, गुठी, जागीर जैसिन भूमि व्यवस्थाके कारण बधुवा मजदुरके रुपमे पुस्टौ पुस्ता काम करेक पर्ना बाध्यतासे जन्म हुइल एक प्रकारके दास प्रथाके रुपमे देखा परल । सोझ प्रवृत्तिके आदिवासी थारु, जमिन्दार लोगनके चलाकी ओ मालिकीय स्वभाव, कमैया वैठना खर्चिला व्यवहार, गरिवी, भुमिसुधार कार्यक्रममे कमैया नाइ पर्ना, दण्डहीनता जैसिन कारण से यी प्रथा जोरदार रुपसे फैलटी गइल रहे ।

कमैया खास कैके खेतीपाती कर्ना उद्देश्य से केल रख्ना चलन रहे । कमैया लोगन दिनभर कृषि काममे सिमित रखजाए जेहीसे ओइने कृषि बाहेक थप आर्जन ओ अन्य सिपमुलक काम ओर अपन ध्यान लगाइ नाइ सक्नै । यीहे कारणसे मुक्त कमैया थारु लोग अपन ओ परिवारके पेट भरेक लाग ओ अन्य दैनिक आवश्यकता पुरा करेक लाग पुर्ण रुपसे जमन्दिार उपर निर्भर हुगईल रहिट ओ कमैयाके रुपमे बैठना मजबुर हुइल रहैं । अस्टेके पुरुष कमैया हुक्रे मालिक जमिन्दार लोगनके खेतीपातीमे व्यस्त हुइगैइने कलेसे ओइनके लर्का, जन्नि हुक्रे जमिन्दार लोगनके घरभन्सा चुलाचौकीमे सिमीत हुइ गइल रहैं । कमैया बैठलसम मुक्त कमैया थारुनके गास वास कपास जमिन्दार लोगनसे चलत रहे तर दुइ दशक आघे तत्कालीन सरकारसे कमैया मुक्ति घोषणा करल पाछे मुक्त कमैया थारु लोगन घर न घाटके हुइल रहैं । तत्कालीन सरकारसे न मुक्त कमैया लोगनके व्यवस्था करल न टे ओइन ठन कुछ रहे । मुक्त कमैया लोगनके समस्या ओर विकराल रुप धारण कर लेहल रहे । मुक्त कमैया थारु लोगनके लाग बुहटसे सरकारी गैर सरकारी परियोजना आइल तर फेन मुक्त कमैया लोगनके समस्या दुखः जस्टे रहे ओस्टे रहगइल ।

कमैया मुक्ति पाछे मुक्त कमैया थारु लोग बहट दुखः पइनै ओ अभिन फे बहट से मुक्त कमैया थारु लोगनके परिवार विगटके जस्टे दुखः पाइट बटंै, ओइनके जिवनस्तर एकदमै दयालाग्दो प्रकृतिके बा । मुक्त कमैया थारु लोगनके वर्तमान जिवनस्तर न्युन हुइनाके कारण ओइनके परम्परागत पेशा रहल मिलल बा । अन्य आयआर्जनके सिप विना सामाजिक दृष्टिसे न्युन स्तरके काम करेक पर्ना बाध्य हुइल बटैं । वर्तमान समयमे मुक्त कमैया थारु लोग इटा भट्टा, लेवरी मजदुरी करटी अपन दैनिक गुजारा करत बटैं । ओइनके लर्का मजा शिक्षासे वञ्चिट बटैं जौन कारणसे मुक्त कमैया थारु लोगनके छाइ छावा फेन से कमैया कमलहरी बन्ना अनुमान करे सेक्जाइठ । मुक्त कमैया थारु लोग वर्तमान अवस्थामे टमान आर्थिक क्रियाकलापमे संलग्न बटैं, मने फे ओइनके सामाजिक जिवनशैलीमे कुछ फे परिणाममुखी सुुधार नाइ देख मिलठ । कमैया रहठ सम मुक्त कमैया थारु लोग अपन जमिन्दार मालिकके खेतीपाती बाहेक अन्य कौनो काम करे नाइ पइनै यीहे कारणसे ओइनके कृषि मुख्य पेशा बनल । यीहे कारणसे आभिनफे मुक्त कमैया थारु लोग कृषी बाहेक और पेशामे सन्तोषजनक तरिकासे अटाए नाइ सेकल हुइठ ।

परम्परागत पेशाके काराणसे मुक्त कमैया थारु लोगनके आम्दानी न्युन बटीन ओ आम्दानी न्युन हुइलेक कारणसे मजा शिक्षा, गुणस्तरीय औषधी उपचार, सन्तुलीत भोजनसे ओइने बञ्चित हुइल बटै । साथे राजनीतिक तवरसे फेन पछाडी परल बटंै ।(बाँकी ३ पेजमे) परम्परागत पेशा मुक्त कमैया थारु लोगनके केल नाइ होके अब सक्कु थारु समुदायके चुनौतीके रुपमे आघे आइल बा । बहरीट रहल शहरीकरण ओ कृषी उत्पादनके बजार अभाव ओ न्युन बजार मुल्यके कारण थारु लोगन अन्य आय आर्जन ओर फे ध्यान देहना जरुरी देख मिलठ । अपन छाइ छावन बजारमे प्रतिस्पर्धा कर्ना मेराइक शिक्षा देहना जरुरी देख मिलठ । थारु लोगनके सम्पत्ती, आय स्रोत कहलेक जमिन हो तर अब्बेक समयमे महंगा भुमी कर ओ कृषीसे न्युन आम्दानीके कारण थारु लोगनसे जमिन बिक्री कर्ना कार्य बढल बा जीहिसे भविष्यमे थारु राजनैतिक रुपमे अल्पमतमे पर्ना, संस्कृतीमे परिवर्तन अइना ओ पहिचानमे प्रश्न चिन्ह खडा हुइटी अस्तित्व समेत ओराइजइना खटरा बढल बा । थारु लोगनके अस्तित्व ओ पहिचान बाचाइक लाग थारु लोगनके जमिन बचाइ पर्ना ओ मजा आर्थिक गतिविधिके लाग पेशा परिवर्तन कर्ना जरुरी देख मिलठ ।


error: Content is protected !!