मंगर बैशाख १८ , १८ बैशाख २०८१, मंगलवार| थारु संम्बत:२६४७

आदिवासी थारु जातिनके खेल

आदिवासी थारु जातिनके खेल

थारु जातिनके हमार समाजमे मेर मेरके खेल बा । थारु समाजके समय अनुसार टमान खेल खेलटी थारु आदिवासी खेटवक् संगे जीवन बिटैटी बटैं । यी समाज विषेश कैके माघ महिनासे शुरु करठैं । अपन संस्कृतिके खेल जटरा थारु समाजमे टर टिहुवार, पाठ, पुजा ओ कामकाज बा । ओट्रै खेल फेन बा । हमार थारु जाति शिक्षाके कारणले पाछे हुइलक कारणसे थारु जातिनके खेलहे सरकार मान्यता नैडेले हो । यदि थारु जातिनके खेलहे मान्यता डेहल रहठ टे थारु जातिके फेन सक्कु समाज खेल सेक्ठंै । राज्य सरकारके ओ हमार थारु समुदायके फेन कमजोरी हो । टबे मारे थारु जातिनके टमान खेल इ मेरके बा ।
लेंरीबुसी
यी खेलसे छोट छोट लरकनमे सामाजिक जिवनके महत्वके बारेमे पटा पैठैं । यी खेल खेले बेर कोइ हाँठसे बालु अन्ठै टे बालुहे मन्दिर ओ महलके रुपमे बनाके डेठैं । ओसतके एक एक जाने बरघर ओ बरघरिनियाँ बनाके उ खेलके नियम अनुसार हुँकरे सबसे मजा, सग्घर ओ चिटिक परल उ बालुके आकृतिहे मान्यता डेटी एक आपसमे सफा ओ सुग्घर वस्तुके तयार करना प्रयास करठंै । यी खेल विषेश करके घाम महिनामे जब लडियामे पानी आइट टबे लवन्डी ओ लवन्डा हुँकरे मिलके खेलठैं ।
घर बसाबरा
यी खेल हार जितके खेल हो । यी खेल छेगरी, भेरी, गइया, भैसिनियाँ चरहाइ बेर खेलठैं । यी खेलसे बौद्घिक विकास फेन हुइठ् । यी खेलमे चटुराइ, बहुट चलाक हुइक परठ । २ जहनके समूह बनाके खेलना खेलमे करिब १२ ठो खोभल्टी रहठ । एक लाइनमे ६÷६ ठो खोभल्टी रहठ । सक्कु खोभल्टीमे ५÷५ ठो पठ्रा रहठ । खोभल्टीके पठ्रा लेहक लाग बिचमे एकठो खोभल्टी खाली रहे परठ । टबे २ जहनके सल्लाह अनुसार एक जाने डाहिन पाँजरसे पठ्रा एकएक ठो चलना शुरु करजाइठ । यीहे प्रकियासे खोभल्टीके पठ्रा ओराइक परठ । टब फेन शुरु करे परठ । यीहे समयमे साझा खोभल्टी फेन रहे परठ । जिटुइया अपन घर लैजाइठ ओ साझा भर डुनुजे बराबर भाग लगैठै । यदि जिटुइया पक्ष डोसर पक्षमे जम्मा खोभल्टी कबजा करले रठै टे उ विजय होजाइठ ।
गुल्ली डन्डा
यी खेल समूहमे खेलना खेल हो । यी खेलसे बालबालिका हुकनके मांशपेशी विकास, गणितके अंक अध्ययन, ओ सामुहिक विकास हुइठ । यी खेलमे जौन समूहके अंक अन्ठै । उहे समुहके मनै शुरुमे खेल्ठैं । यी खेल खेलना एकठो चिन्हाँ रहठ । प्रत्येक समूहहे चिन्हाँ छट्के परठ । छट्कना निश्चित एक स्थान रहठ । टबे काम पुरा करठैं टे उ खेलके निति नियम अनुसार डु चो खेले सेकजाइठ । ओ खेल ठाउँ अनुसार फरक फरक टौरतरिकासे यी खेल खेलजाइठ । यी खेलमे २४ इन्च लठ्ठी ओ ४ इन्च बराबरके छोट गुल्ली कठवक् डन्डा प्रयोग करठै । यी खेलमे जोन समुह टोकल अनुसार पहिले अंक पैठंै ओहे समुहके विजय हुइठ । ओकर पाछे गुल्लीमे अंक तौलके लठ्ठीसे मारके दुरी पार करठंै । ओ चिइ कहिके हारल समूहहे चिइ पार करठैं ।
कोइली दिदी
यी खेल थारु समुदायके लवन्डी हुँकरे खेल्ठंै । यी खेलसे मानसिक, बौद्घिक, संवेगात्मक ओ शारीरिक विकास हुइठ । समूहके सामूहिक भावना विकास हुइठ । यी खेलमे दुइ समूह तयार करे परठ । ओ एक जहनहे चोर फेन बनाइक परठ । यी खेलमे एक जाने गोरा पकरठंै ओ बाँकी जाने ओकर पुठ्ठा पकरके बैठल रठैं । टबे चोर वाला कहठ कि–काइली दिदी, कोइली दिदी टु टुभ्लुंग डेउ काँकर–गोरा पकर वाला कहठ कि–अभिन टे जामल नैहो । फे चोर वाला उहे तरिकासे कहठ । फेन गोरा वाला कहठ–अभिन टे तौल नैहुइल हो । फे टेसरो चोटी कहे जाइठ कोइली दिदी, कोइली दिदी टु टुभ्लुंग डेउ काँकर–टब उत्तर पाइठ । टबे कहट पाकल छामके लैजा । टबे चोर वाला इ कच्चे बा, इ अनारी बा, इ बोटिया बा, इ आधा कच्चे बा, इ पाकल बा कहिके टब उहिहे पकरके औरे ठाउँमे ढैडेहठ । असटके पालिक पाला इ सक्कु लाइनहे ओरैठैं । टब खेल निपट् जाइठ् ।


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