अत्वार पुष ०७ , ७ पुष २०८१, आईतवार| थारु संम्बत:२६४७

अस्टिम्की भिट्टरके चित्रकला : एक परिचय

अस्टिम्की भिट्टरके चित्रकला : एक परिचय

लोकसंस्कृति
अस्टिम्की भिट्टरके चित्रकला : एक परिचय

अस्टिम्की थारु समुदायके खुसी ओ उमंगके संग आइल टिहुवार हो । थारु समुदायमे मनैना टमान टिहुवार मनसे अस्टिमी फेन एक हो । यी टिहुवार भदौं महिनामे मनैना चलन बा । यी टिहुवार तिथि मिथि अनुसार कौनो साल सावन महिनामे फेन परठ । यी टिहुवार हमार पुर्खनके पालासे चलटी आइल बा । कृष्ण भगवानके जलम भदौ महिनामे हुइलेक ओरसे यी टिहुवार भदौं महिना मनाजाइठ । ओस्टके अस्टिम्कीमे टिक्ना टमान मेरके चित्र बा । यी लेखमे कुछ चित्रके बारेम् चर्चा कैल बा ।

अस्टिम्कीमे हस्तचित्र घरके बहरीम हाँठले बनाइल चित्रमे टिक्के पुजा करना चलन बा । यी चित्र अस्टिम्कीमे जरुरी बा । यी चित्र बनाइक लाग पहिले रंगके विकास नैहुइल रहे । ओहेमारे पहिलेक मनैन पोँइक पाकल फारा निचोरके लाल रंग बनाइँट् । सेमक पटियक् रसके काइल रंग बनाइँट् । ओस्टके टुम्मा जराके करिया रंग फेन बनाइँट् । बहरीक भिटामे ढौरा माटी लेके खोब घोट्टइल ओ सोट्टइलसे पोटके चित्र बनाइँट् ।

यी चित्र बनाइक लाग मेरमेराइक बुट्टा डारके घेरा बनाके रंगसे रंगाइ परठ । अपन इच्छा अनुसार फेन बुट्टा बनाइ सेक्जाइठ । सामान्य सिख्नौटी मनै फेन बनाइ सेक्ठंैँ । ओकर उप्पर बिच्चम एकठो छोटमोट डोसर कोन्टी फेन रहठ । ओम्हेँ कृष्णक चित्र बनाइल रहठ । चित्र बनाइ नैसेकलेसे ओम्ने ‘श्री’ फेन लिख्ना चलन बा ।

यी घेरा भिट्टर फेन तीनठो कोन्टी रहठ । यी घेराके तीनठो कोन्टीमसे उप्परके कोन्टीमे विजोर संख्यामे थारु मनैके चित्र बनाइल रहठ । यी चित्र तीनठोसे लेके सातठो सम चित्र बनाइ सेक्जाइठ । कौनो ठाउँमे नौठो समफे चित्र बनाइल फेन मिलठैं । यी चित्र तीनठोसे लेके सातठो सम बनैना ढेर प्रचलनमे बा । यी चित्र कृष्णके टमान समय ओ प्रतिकके रुपमे बनाइल मानजाइठ । थारुनके चित्र बनाइबेर पुट्ठामे मँडरा भिरल फेन बनाजाइठ । उ बनैना कारण अपन सोह्र सय गोहिनहे नचाइक लाग बसियाँ किल नै मँडरा फेन बजाइँट कैह्के आभास मिलठ । ओस्टक बाउँ पाँजर कोन्वाँमे जोन्हियाँ ओ डाहिन पाँजर दिनके फेन चित्र बनाइल रहठ ।

ओस्टके ओकर टरक कोन्टीक उप्पर संख्यामे बराबर जन्नी मनैनके चित्र बनाइल रहठ । उ चित्र कृष्णके सोह्र सय गोहिनके प्रतिकके रुपमे बनाइल रहठ । ओइनके आँजर पाँजर सोँगियनके फेन चित्र बनाइल रहठ । कृष्ण अपन गोहिनहे नचाइबेर सोँगियनके फेन जरुरट परठ कैह्के सोँगियनके फेन चित्र बनाइल रहठ । कृष्ण अपन गोहिनहे नचाइबेर फेन जरुरट परठ कैह्के गोहिनके चित्र बनैलक हो । कौनोमे पाँचठो छाता ओर्हल थारुनके चित्र बनाजाइठ । यी पाँचो पाण्डवनके प्रतिनिधित्व कैल मानजाइठ । छाता ओर्हलक कारण उ बनिवास गैलक ओरसे टमान बिपत्तिमे या घाम पानीसे बँचक लाग बनाइल हो । ओस्टके टरक कोन्टिमे बन्ढुक बोकल थारुनके चित्र बनाइल रहठ । उ सौ कुवरनके प्रतिनिधित्व करठ । जौन ओइने लडाइ या मारपिट, राज करे खोज्लक बाट जनाइठ । सबसे टरक कोन्टिक उप्पर डुनु कोन्टिलेके यी भारी रहठ । ओम्ने यी मेरके चित्र बनाइल रहठ ।

रोइना-रोइना सबसे पच्छिउँ ओर बनाइल रहठ । उ समयमे रोइनाहाँ स्वाभाव हुइलक एक पात्रके रुपमे डेखा पर्लक ओरसे उहिहे सक्कु जाने हेलाहा कैठिस् ओ ओकर आँजर पाँजरके सक्कुहुनमे टिक्ठैं । ओकर चित्रमे केउ नैटिकठ । उहि टिक्लेसे रोइनाहाँ लर्का हुइठैं कना थारु समुदायके विश्वास बा । टबेमारे केउ नैटिकट रोइनकमे ।

रोइनी मछरिया-जब सृष्टिकर्ता यी पृथ्वी सृष्टि करे लागल टबे जल ओ थल बनाइल पाछे पृथ्वीमे मतस्य अवतारके रुपमे रोइनी मछरियक जलम हुइल ओरसे अस्टिम्कीमे फेन एक कोनवाँमे रोइनी मछरिया ठाउँ पैले बा ।

डोली-डोली भिट्टर बासुदेव, डेउकी ओ बिच्चेमे आधा कृष्णके चित्र बनाइल रहठ । जब रातके मुर्गी बोलही टबे घरक् अगुनियाँ आनक बारीमके टिना चोराके नन्लक कैठाँ पुजके आधा कृष्णहे पुरा बना जाइठ या कृष्णक जलम हुइठँ कैके बुझे परठ । जब कंस डेउकीक कोखसे साटो लर्का कहुँ पटकके कहुँ झटकके मुवइलक ओरसे आठो सन्तानके रुपमे जल्मटी रलक कृष्णहे सुरक्षित ठाउँमे जल्माइलक लाग डोली बनाके यमुना लडियक ओहपार लैजैठैं ।

कजरिक बनुवाँ-कृष्ण अपन लालाबाला, गोरु बछरु चर्हाइ लैजैना बृन्डावनहे कजरिक बनुवाँ कैजाइठ । महा कजयार हुइलेक ओरसे कजरिक् बनुवाँ नाउँ परल हो ।

फुला-कृष्णक सोह्र सय गोहिन रहिन ओइनहे प्रेमके प्रतीकके रुपमे डेना फुला उपहारके रुपमे फुला बना जाइठ ।

मजोर-कृष्णक मन पर्ना चिरै मजोर हुइन । ओहे मारे यी चित्र फेन बनाजाइठ ।

लाउ-पृथ्वीमे महाप्रलय हुइल बेला जौन मेरके विष्णु डोनार सवार कैके एहोँर ओहोँर जाइट उहेकमारे अस्टिम्कीमे फेन लाउ बनैना चलन बा । केक्रोे कहाइ जुन कृष्णहे सुरक्षित ठाउँमे लैजैना क्रममे यमुना लडिया नाघेबेर उहे लाउ नाँघके ओहपार लैगिलक हो कना बाट पुर्खा लोग बटैठैं ।

हर जोट्नी रहल मनैयाँ-टमान समयसंगे मनैनके जीवनयापनके लाग खेतीपाती करही पर्ना हुइलेक ओरसे मनैनके जीवनशैली कृषि प्रणालीके झलक डेहठ । ओहेमारे यी चित्र फेन बनाइल डेख्जाइठ ।

पुरैनिक पाटा-सोह्र सय कृष्णक गोहिन लहैना ठाउँ जहाँ सुन्दर पुरैनिक फुला रहे ओ ओइने फुलक संगे कंचन पानीके मोहित हुके लहाइट उहे मौकामे ओइनके सक्कु लुगरा नुक्वाके कृष्ण मजा लिइँट् ।

मुर्गा-कुछ समय पन्छी जेकर बोली सुनके मनै समयके पहिचान कैर्ठैं । उहे अस्टिम्की फेन समय भिट्टर सक्कु काम करे पर्ना हुइलेक ओरसे मुर्गाके फेन बरवार भुमिका बटिस् ।

सुख्ली कुकनियाँ-बनिवाँसमे रात बिरात एहोँर टेहोँर सुटे पर्ना हुइलेक ओरसे पहरेडारके भुमिका सुख्ली कुकनियक या कौनो फेन ठाउँमे पहरेडार सुरक्षितके लागे कुक्कुरके फेन बरवार भुमिका रहल ओर सुख्ली कुकनियाँ अँगनामे रहल बरवार रुखवामे बाँढल रहठ ।

अस्टके हाँठी, घोरी, बाँडर चिरैचुरुंगन, साँप, गोजर, गेंगटा कृष्ण बनिवास गैल समयमे बहुट मेरके अवस्थामे सहयोग कैलेक ओरसे हुकनके चित्र बनाजाइठ । जस्टे हाँठी, घोरी, जानवर लडाइमे मद्दत, चिरैं सन्देश पुगैना, नन्ना बाँडर फलफुल नान्के भोजन खवइना, पिवइना मद्दत करना काम करठैं । यी चित्र दिन भर भुख्ले रैह्के चित्र बनैठैं । चित्र बनैना मनै पानी फेन नैपिके बरट बैठल रठैं ।
रविता चौधरी


error: Content is protected !!