जीवन राना/धनगढी
कि आज होरि का संग खेलओ,
नितुरि बसन्तरि माइँ ।
होरि
एक महत्वपूर्ण तिउहारके रुपमे हर शहर अउर गाउँमे होलिका दहन भओक सम्झनामे
मननिया चलन हए । राना थरुवाके बुढे बियारेक कहावत अनुसार हिरन्य कस्यप
कहनिया एक राजा रहए । ओ अपनो लउँडा प्रल्हादक मारनके ताहि अपनी बहिनिया
होलिकाक सहारा लइ जउन अग्निस ना जरनिया वरदान पाइरहए । तवही प्रल्हादक
गोदिम लइके जरानक आदेश दइ रहए । प्रल्हाद भगवान विष्णुको भगत रहए तहिक मारे
बाकि फुवा होलिका अपन भतिजो प्रल्हादक गोदीमे लैके आगी लगाइ त बरदान पाइ
भइ होलिका जरिगइ । पर भक्त प्रल्हाद ना जरो । बहे दिन असत्य उपर सत्यको
जितको रुपमे होरी मननिया चलनको शुरुवात भओ और मानत आए हएँ ।
राना थरुवा होरी पर्वके सबसे लम्बो तिउहारके रुपमे मनात आए हएँ । जा पर्व एक महिना आठ दिन तक मननिया चलन हए । होरी पर्व माह पुरनमासिक दिनसे सुरु हुइके फागुन पुरनमासि तक होरिकी गित गात, खेलत रातक समयमे मनात हएँ । फागुन पुरनमासिके दिन होरि दहन करके भोर भएसे आठ दिन तह दिनके गाउँके जनइया सुनइयानके घर घरमे जाएके दिनके खिलनिया चलन हए ।
होरि कइसे मनात हएँ ?
माह पुरनमासिक दिन गाउँके लोग मनइ भल्मन्साके घरमे इकठ्ठा होत हए । पुजाके समान भेट (घिउ, लौग) घरघरसे उठात हएँ अउर गाउँक दखिन भुइया थौरा होरी धरके भलमन्सा, चाकर अउर भर्रा पुजा करत होरिक आवहान करत हए । संगै वोमै कन्डा, टिटरो, कठिया धरत हएँ । अउर हुँवासे होरिकी गित गात भल्मन्साके घरमे आएके होरि खेलत हएँ । बा दिनसे हरेक दिन रातके लउँडा, लउडिया मिल्के गाउँके जनइया सुनइयनके घरमे जाएके रातके एक दुई घण्टा तक रोज होरी खेलत हएँ । अउर रोजय होरि धरो ठाउँमे जाएके कन्डा, कठिया, टिटरो जमा करत जात हएँ ।
एक महिना पिछु फागुन पुरनमासिके दिन गाउँके सबए घरके मनइ चुन अउर भेट उठाएके भल्मन्साके घर इकठ्ठा होइके पुरी पकात हएँ । रातके गाउँके मनइ अउर भल्मन्सा, चाकर भर्रा मिल्के होरी धरो भओ ठाउँमे जाएके कठिया, कन्डा, टिटरो धरके उचो बनात हएँ अउर बामे बइयरनको, पइधनबारो कपडा पइधात हएँ । कोइ कोइ गाउँके तमान रंग कि चिर पइधनिया चलन हए । सबएसे उठाएके लाओ भओ भेट (लउँग, घिउ, होम मसला) धरके पुजा अगियारी करके होलिकाके आवहान करके पुजा निभटाएके होरिमे अग्नी लगनिया चलन हए । बाके पाछु हुवएसे होरि कि गित गात भल्मन्सा के धरमे जाएके एक दुई घण्टा होरि खेलत हएँ । बो दिन से खिच कहत हए अउर बो दिन राना थरुवा कोइ फिर गोइ नामचियात हएँ ।
दुसरो दिनसे टिकाक दिन कहत हएँ । टिकाके दिन सबेरेसे रंग, अबिर खेलत हएँ अउर अपने अपने मितनके घर जाएके फगुहा देत हएँ । ससुरार जाएके सारी, सरहजनके फगुहा दइके रंग, अबिर खिलनिया चलन हए । वो दिन दुपहार तक रंग अबिर खेलके, नहाय धोयके नया नया कपडा गर गहना पइधक समहरके भल्मनसाके घर जमा हुइके भल्मन्साके सँग होरी दहन करो ठाउँमे जाएके टिका लगात हएँ ।
पहिलो टिका भल्मन्सा लगात हए तओखिर हुरखिलैया अउर गाउँके आदमि लगात हएँ । हुवएसे होरिकि गित गात भल्मन्साके घरमे आएके होरि खेलत हएँ । भल्मन्सा वो दिन भेलि मिठाइ बटबात हए त सबए जनि हुरखिलइयनके खानु खबात हए । अइसि करके आठओ दिन तक गाउँके जनइया सुनइयनके घरमे होरि खेलत हएँ ।
आठओ दिनके दिन खकडेहरा फुरनिया चलन हए । खकडेहराके दिन सबेरे अंधियारोमे हरेक घरसे फुटो भओ घल्लाको खप्टोरामे मट्टीके गुल्ला सिकामे बनाएके कपासके गुदा धरके पुजाक समान भेट धरके गाउँक बाहिर पुजत हएँ । खकडेहरा फोरके आत हएँ अउर हुँवासे पधना चहो भल्मन्साके घर जात हएँ । सबए जनि मिल्के रुपइया उठात हएँ अउर बकरा मारके खानिया चलन हए । खकडेहराके दिन फिर होरि खिलनिया चलन हए । खकडेहराके दिन चाकर चहो अउर कुइके घर जाएके होरि खेलत हएँ । अउर खकडेहराक दिनसे होरी निभटजात हए । चइत कि चराइके दिन होरि पठनिया वा निभटनिया चलन हए ।
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