मंगर बैशाख १८ , १८ बैशाख २०८१, मंगलवार| थारु संम्बत:२६४७

राजवंशी ठाकुर थरके एक परिचय

राजवंशी ठाकुर थरके एक परिचय

वीरबहादुर राजवंशी
कंचनपुर जिल्लामे कैयोे ठाउँमे बसोबास करुइया राजवंशी ठाकुर थारु फेन एक हुइँट । इ थर के थारु बेलौरी नगरपालिका–७ सिंगपुरमे १६ घर, कृष्णपुर नगरपालिका–६ सिंगपुरमे १५ घर, बन्जरियामे १३ घर, वडा नम्बर २ भुलीमे ४ घर, वडा नम्बर २ वाणीमे १ घर, महेन्द्रनगरमे १ घर, गोदावरी नगरपालिका–१ अत्तरियामे १ घर, कैलारी गाउँपालिकाके वडा नम्बर ३ शिवरत्नपुरमे १ घर ओ डडेलधुरामे १ घर लगाके कुल ५३ घर रहल बटैं ।
बंगाल बाराभारसे घुम्टीफिर्टि नेपालके दाङ जिल्लामे एकठो अहिरा अइलैं । यहाँके समठर उर्वर भुमिमे रमैटि लम्मा समय सम रहटि जैना दौरानमे उहाँ संग बहुत ज्ञानगुन रहिन, गुरैपाटि करटि, घुलमिल हुइटि लौंडी उह्रल । टबे अहिरा मासमस्छी नैखैना हुइलक ओरसे दहि भात खवाके पाँट लगैलैं, ओहे दिनसे दहितनके विकास हुइलक कना कहानीफें बा ।
अहिराके पाँट मिलल् ओरसे गुरैपाटी कैटि गैलैं । उहाँ महाँ जन्नाहा रहिंट । उहाँके और नाउँ घनपट गुरुवा रहिन । यहाँसे जन्मल ४ छावा वर्का मड्वा, मन्हला भेर्वा, सन्हला डेमनडौरा ओ छोट्का जगन्नठिया रहिन् । घनपट गुरुवा बिटल बाद, यी चारु भैया देशबन्ढियाके जिम्मेवारी बाँडफाँड कर्लैं । ओ सिस्नेहरि लडियासे पुरुव देउखुरी लगायत बर्का मड्वाके देशबन्ठिया खेलाइँट् ।
घनपट गुरुवाके चारु छावनके बाद दादुभैया नैहोके नातागोतामे परिणत हुइल बा । आझ यहाँ हुकहन डेव डुर्गन कहिक मान्जाइठ् । यहाँके बर्का छावा मड्वा जो माढोगुन्नी हुइँट कना कहावट बा । भेर्वा डेमनडौराके देशबन्ढिया लेहल ओरसे तिनु जाने मिल्के डेमनडौराहे बुक्रहुवा ओ बाँनधुप खेलाइ डेना बरैन बनैना सल्लाह हुइलिन । असिक बातचित हुइलिन ओ समाधान हुइल डेखापरठ् । यहाँ के इष्टमित्र हुइल ओरसे राज काज चलुइया राजवंशी ठाकुर हुक्रे मड्वाके देशबन्ढिया रहिन् । साथमे माढोगुन्नीके बाँनधुपफे खेलैठैं ।
देश राज काज खेलुइया मध्येफे यहाँ हुक्रे एक हुइँट । आपन राज्य संचालन करुइया हँुकन राजवंशी कलैं कना कहावट सुनमिलठ् । यहिम फेन कौनो काम विशेष लेके प्राप्त हुइल पदवी ओ उपहार ठाकुर डेलैं । तबसे एकमेरके रा्जवंशी ओ राजवंशी ठाकुर हुइलैं कना कहावट सुनजाइठ् । आझ कलैं यहाँ हुकनबिच जातीके रुपमे विश्लेषण हुइट, राजवंशी ठाकुर हुँकन क्षेत्री ठकुरीके व्याख्या कैजाइठ । देउखुरी मे रहल राजवंशी ठाकुर हुक्रे मड्वा ओ माढोगुन्नीके वंशजके उपजके रुपमे लेजाइठ् ।
मोर सुनल अध्ययन अनुसार यी थर गोत्र बंगाल, दाङ, कैलाली ओ कंचनपुरमे बा । तरफेन पिढि बिट्टी जैना क्रममे कोइ डेेंउटा अस्रैलैं, पुजापाट मर्ति गैलैं, ओहे मारे कैंओं मनैन अपन डेउ डुुर्गनके चिन्हजानि, नाउँ टक बिस्राइ लागल बटैं । अस्टेक हुइनाहस् हमार अवस्था आसेकल् बा ।
कृष्णपुर–६ कंचनपुर


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